देवास। श्रीमद् भागवत कथा मानव के सभी संशय का हल है। इस कथा के श्रवण से व्यक्ति को ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है और वह संसार की मोह-माया से मुक्त हो जाता है।
यह विचार श्रीराम द्वारा में भागवत कथा में महंत स्वामी रामनारायणजी ने प्रकट किए। व्यासपीठ का पूजन संतराम सुमिरनजी, डॉ. सीमा सोनी, बाल संत पुनीत रामजी ने किया। महंतजी ने कहा, कि भागवत कथा सुनने से हमारे जीवन के सभी विकार दूर हो जाते हैं और हमें सुख की प्राप्ति होती है। जिस प्रकार प्रकाश से अंधकार दूर हो जाता है, उसी प्रकार भागवत कथा से हमारे जीवन का अंधकार और अज्ञान दूर हो जाता है।
महंतजी ने कहा, कि संसार की मोह-माया को भागवत कथा मोक्ष में बदल देती है। जहां पर यह कथा होती है, वहां पर सभी देवता अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। कथा से हमारा विवेक चेतन हो जाता है, चेतना जाग्रत हो जाती है। ईश्वर का स्मरण करते हुए कथा सुनना चाहिए। इससे हमारा मन का संशय हमेशा के लिए मिट जाता है।
महंतजी ने कहा, कि हरि का अर्थ है दुख को हरने वाला इसीलिए ईश्वर को हरि कहा जाता है। शुकदेव मुनि ने राजा परीक्षित को भागवत कथा श्रवण करवाई। भजन-कीर्तन से मनुष्य ईश्वर के करीब पहुंचता है। हमें पुण्य के कार्य करना चाहिए। पुण्य जन्मों-जन्मों तक हमारा साथ देता है, इसलिए हमेशा पुण्य करना चाहिए। भागवत महापुराण सभी ग्रंथों का सार है। कथा का समय दोपहर 1 से शाम 5 बजे तक रखा गया है। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।
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