सद्गुरु से संवाद करने पर सत्य का अनुभव हो जाता है- सद्गुरु मंगल नाम साहेब
देवास। 24 घंटे निरंतर जागने वाली श्वास के खंभे पर सोने वाला शरीर सूरत बैठा हुआ है। अपनी यात्रा प्रारंभ करता है। संसारभर में स्वाद, सुख, ज्ञान एवं कर्म इंद्रियों के अधीन होकर उनके ही सुख स्वाद के भ्रमजाल में उलझा हुआ है। शरीर का राजा जीव अगर मन के अधीन होकर कर्म करता है, तो मिटना तय है, लेकिन मन अगर सदगुरु के अधीन होकर कर्म करता है तो वह चिरंजीवी होकर सदा सुख, शांति धारण कर जीवन मरण से मुक्त हो जाता है।
यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने सदगुरु कबीर सर्वहारा प्रार्थना स्थलीय सेवा समिति मंगल मार्ग टेकरी द्वारा आयोजित गुरुवाणी पाठ, चौका आरती के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा, कि जिसमें समझ है, ज्ञानी है, उसे सद्गुरु की कृपा से संतोष हो जाता है। फिर वह नीर अभिमान होकर संसार के सभी सुख भोग करता रहता है, लेकिन वह संग्रह नहीं करता। वह मोह माया से परे हो जाता है।
सद्गुरु आत्मा शांति का मार्ग बताते हैं। संवाद और गोष्ठियों को महत्व देने की बात करते हैं, लेकिन मानव आज भी अहंकार वश इन मार्गों को अपनाना ही नहीं चाहता। सद्गुरु से संवाद करने पर सत्य का अनुभव हो जाता है और संसार के मायाजाल से बंधन छूट जाते हैं, इसलिए सद्गुरु की शरण, सद्गुरु की संगति इस सांसारिक भवसागर से मुक्त होने का एक सहज और सरल मार्ग है। यह जानकारी सेवक राजेंद्र चौहान ने दी।
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