– लाखों लोग हिंसा व लूटपाट में मारे गये थे तथा लाखों लोगों को झेलना पड़ा था विस्थापन का दंश
जबलपुर। अपर कलेक्टर नाथूराम गौड की अध्यक्षता में आज 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया गया। इस दौरान समाज के सभी वर्गों के पदाधिकारियों के साथ सिंधी, पंजाबी और बंगाली समाज के प्रबुद्धजन मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि भारत के विभाजन के दौरान जिन परिवारों के सदस्यों को प्राण न्यौछावर करने पड़े, उन परिवारों को नमन करते हुए ऐसे लोगों की स्मृति में आज विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया गया।
यह सर्वविदित है, कि देश का विभाजन किसी विभीषिका से कम नहीं था। भारत के लाखों लोगों ने बलिदान देकर आजादी प्राप्त की थी, ऐसे समय पर देश का दो टुकड़ों में बंट जाने का दर्द लाखों परिवारों में एक गहरे जख्म की तरह घर कर गया है। इसी समय बंगाल का भी विभाजन हुआ। इसमें बंगाल के पूर्वी हिस्से को भारत से अलग कर पूर्वी पाकिस्तान बना दिया गया था, जो कि सन् 1971 में बाग्लादेश के रूप में एक स्वतंत्र राष्ट्र बना।
भारत के इस भौगोलिक बंटवारे ने देश के लोगों को सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक तथा मानसिक रूप से झकझोर दिया था। विभाजन विभीषिका के दौरान विस्थापित परिवारों त्रासदी व प्राणोत्सर्ग के लिए दो मिनट की मौन श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस दौरान उत्तम नाथ और करतार सिंह बटीजा ने विभाजन विभीषिका के हदय स्पर्शी करूण संस्मरण भी साझा किए। साथ ही इस विभीषिका से पीडि़त परिवारों के संस्मरण प्रोजेक्टर के माध्यम से दिखाया गया।
इस दौरान बताया गया कि भारत का विभाजन बुनियादी रूप से अभूतपूर्व मानव विस्थापन और जबरन पलायन की कहानी है। यह एक ऐसी कहानी है जिसमें लाखों लोगो ने ऐसे वातावरण में नये घर तलाशे जो उनके लिए अजनबी और प्रतिरोधी थे। आस्था और धर्म पर आधारित हिंसक विभाजन की कहानी होने के साथ-साथ यह एक ऐसी कहानी भी है कि कैसे एक जीवन शैली और सह अस्तित्व सदियो तक अचानक और नाटकीय रूप में समाप्त हो गए।
इस दौरान बताया गया कि विभाजन विभीषिका के दौरान लगभग 5 से 10 लाख लोग हिंसा व लूटपाट में मारे गये थे तथा लाखो लोगों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ा था।
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