भागवत कथा में धूमधाम से हुआ श्रीकृष्ण-रुक्मिणी का विवाह

Posted by

Share


पं. अंबाराम राजगुरु ने कहा कि देवी राध के बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय देवी है रुक्मिणी जी
बेहरी। भगवान श्रीकृष्ण के साथ हमेशा देवी राधा का नाम आता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं में यह भी दिखाया था, कि राधा और श्रीकृष्ण दो नहीं बल्कि एक हैं, लेकिन देवी राधा के साथ श्रीकृष्ण का लौकिक विवाह नहीं हो पाया। देवी राधा के बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय देवी रुक्मणी हुईं।


पाटीदार धर्मशाला में श्रीमद भागवत कथा के दौरान श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह प्रसंग में यह विचार पं. अंबाराम राजगुरु ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि देवी रुक्मिणी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी। रुक्मिणी अपनी बुद्धिमता, सौंदर्य और न्यायप्रिय व्यवहार के लिए प्रसिद्ध थीं। रुक्मिणीजी का पूरा बचपन श्रीकृष्ण की साहस और वीरता की कहानियां सुनते हुए बीता था। जब विवाह की उम्र हुई तो इनके लिए कई रिश्ते आए, लेकिन इन्होंने सभी को मना कर दिया। इनके विवाह को लेकर माता-पिता और भाई रुक्मी चिंतित थे। एक बार एक पुरोहितजी द्वारिका से भ्रमण करते हुए विदर्भ आए। विदर्भ में उन्होंने श्रीकृष्ण के रूप, गुण और व्यवहार का अद्भुत वर्णन किया। पुरोहितजी अपने साथ श्रीकृष्ण की एक तस्वीर भी लाए थे। देवी रुक्मिणी ने जब तस्वीर को देखा तो वह भवविभोर हो गईं और मन ही मन श्रीकृष्ण को अपना पति मान लिया, लेकिन इनके विवाह में एक कठिनाई यह थी कि इनके पिता और भाई का संबंध जरासंध, कंस और शिशुपाल से था। इस कारण वे श्रीकृष्ण से रुक्मिणी का विवाह नहीं करवाना चाहते थे। राजनीतिक संबंधों को ध्यान में रखते हुए जब रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से तय कर दिया। पं. अंबारामजी ने कथा सुनाते हुए आगे बताया कि श्रीकृष्ण ने भी रुक्मिणी के बारे में काफी कुछ सुन रखा था और वह उनसे विवाह करने की इच्छा रखते थे। जब उन्हें रुक्मिणी का प्रेमपत्र मिला तो प्रेम पत्र पढ़कर श्रीकृष्‍ण को समझ आया कि रुक्मिणी संकट में हैं। उन्‍हें संकट से निकालने के लिए श्रीकृष्‍ण ने अपने भाई बलराम के साथ मिलकर एक योजना बनाई। रुक्मिणी के अपहरण के बाद श्रीकृष्ण ने अपना शंख बजाया। इसे सुनकर रुक्मी और शिशुपाल हैरान रह गए कि यहां श्रीकृष्ण कैसे आ गए। इसी बीच उन्हें सूचना मिली की श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का अपहरण कर लिया है। क्रोधित होकर रुक्मी श्रीकृष्ण का वध करने के लिए उनसे युद्ध करने निकल पड़ा था। रुक्मि और श्रीकृष्ण के मध्य युद्ध हुआ था जिसमें कृष्ण विजयी हुए और रुक्मिणी को लेकर द्वारिका आ गए। रिववार को रिमझिम बारिश के बीच भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा श्रवण के लिए पहुंचे। भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह प्रसंग में श्रद्धालुओं ने उत्साह के साथ नृत्य किया और मंगल गीत गाए। आरती व प्रसाद वितरण का लाभ श्रद्धालु नाथूसिंह सेठ, रामचंद्र दांगी, भोजराज पाटीदार एवं विष्णु पाटीदार ने लिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *