पाटीदार धर्मशाला में भागवत कथा के दौरान पं. अंबाराम राजगुरु ने दिए प्रेरणादायी संदेश
बेहरी। सनातन धर्म में रामायण एवं भागवत गीता महत्वपूर्ण ग्रंथ है। जब भी व्यक्ति भटकता है या परेशान रहता है तो इन ग्रंथों में लिखी बातें जीवन में लाते ही उसके दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। रामलीला का मंचन रंगमंच के कलाकार करते अवश्य है, लेकिन वास्तव में रामायण पढ़ना सुखद अनुभव रहता है।
यह प्रेरणादायी संदेश पाटीदार धर्मशाला में चल रही भागवत कथा के चौथे दिन पं. अंबाराम राजगुरु ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए दिए। उन्होंने कहा कि भागवत कथा में बचपन से लेकर मृत्यु तक जो लीला कृष्ण भगवान द्वारा रची गई, वह लीला हमारे आस-पास सदैव रहती है। भाई-बंधु, नातेदार-रिश्तेदार सब उसी कृष्ण लीला के पात्र हैं, पर कृष्ण बनने के लिए त्याग एवं संयम भी कृष्ण जैसा होना चाहिए। पंडितजी ने कहा कि किसी व्यक्ति को छोटा नहीं दिखाना चाहिए और घमंड कभी नहीं करना चाहिए। घमंड करने से व्यक्ति का पतन होता है। हमारा व्यवहार, हमारी वाणी इस प्रकार हो कि किसी का दिल नहीं दुखे।
भागवत कथा प्रसंग में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। बाल कृष्ण का आकर्षक रूप धारण किया नन्हे बालक राम पाटीदार ने। जैसे ही वासुदेवजी टोकरी में लेकर कान्हा को लेकर आए, भक्त उत्साह से जय-जयकार करने लगे। हर कोई कन्हैया की एक झलक पाने के लिए दीवाना सा हाे गया। भक्तों ने नृत्य कर कृष्ण जन्मोत्सव की खुशी व्यक्त की। इस अवसर पर पंडितजी ने कहा कि जब भी अत्याचार, अन्याय बढ़ते हैं तो पाप का नाश करने के लिए भगवान अवतार लेते हैं। भागवत कथा के दौरान आरती का लाभ हरिनारायण व उनकी धर्मपत्नी मंजू पाटीदार ने लिया। भागवत कथा परिसर में खिचड़ी, दही, केले का प्रसाद श्रद्धालु सरपंच हुकमसिंह बछानिया, देवकरण मंडलोई ने किया। साथ ही पाटीदार समाज के युवाओं द्वारा समूची व्यवस्था की गई। कृष्ण जन्मोत्सव की तैयारी श्रद्धालुओं ने पहले से ही कर रखी थी।
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