महाभारतकालीन है बिजेश्वर महादेव का मंदिर

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सुन्द्रेल-बिजवाड़ (दिनेशचंद्र पंचोली)।
देवास जिले की कन्नौद तहसील के ग्राम बिजवाड़ में स्थित प्राचीन बिजेश्वर महादेव मंदिर की महिमा निराली है। कौरव-पांडवों के समय का यह मंदिर लाखों भक्तों के लिए श्रद्धा का केंद्र है। इस मंदिर में विराजित शिवलिंग तिल-तिलकर प्रतिदिन बढ़ता है।

यहां के बुजुर्ग बताते हैं कि इस शिवलिंग को हमने बचपन में बहुत छोटे रूप में देखा था, लेकिन आज यह शिवलिंग इतना विशाल हो गया कि एक इंसान सामान्य रूप से उठा नहीं सकता। बुजुर्ग इस स्थान को देवालय कहकर ही पुकराते हैं। यहां जो भी भक्त सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। जिन भक्तों की मन्नत पूर्ण होती है, वे महाशिवरात्रि पर्व पर लाखों की संख्या में दूर -दूर से पैदल चलकर यहां मत्था टेकने आते हैं। यहां जो भी भक्त बिल्वपत्र चढ़ाकर जल से भगवान का अभिषेक करता है उसकी मनोकामना तत्काल ही पूर्ण हो जाती है। यहां पशुपतिनाथ मन्दसौर के संस्थापक संत प्रत्यक्षानंदजी महाराज , संत भागवतानंदजी महाराज, संत नित्यानंदजी महाराज की तपस्या स्थली रही है। उनकी प्रेरणा से ही यहां विशाल धर्मशाला बनाई गई, जहां संतगण निवास करते हैं। मंदिर के समीप विशाल यज्ञ शाला, दतूनि नदी का सुन्दर घाट है। भगवान बिजेश्वर मंदिर के विशालकाय शिखर की अदभुत बनावट और पत्थरों पर की गई कलाकृति देखते बनती है। पूर्व सरपंच विक्रमसिंह गौड़ ने तत्कालीन सांसद सुषमा स्वराज एवं विधायक आशीष शर्मा के माध्यम से करोड़ों रुपए के निर्माण कार्य करवाए, जिसकी सर्वत्र प्रशंसा की जाती है। भगवान बिजेश्वर की प्रेरणा व संतों के आशीर्वाद से परम भक्त समाजसेवी दिनेशचंद्र पंचोली व परिवार द्वारा सुन्द्रेल में महाशिवरात्रि पर भगवान नर्मदेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण अपने पूर्वजों की स्मृति में करवाया, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा संत मणि महेश चैतन्य महाराज पशुपतिनाथ मंदिर मन्दसौर द्वारा कराई गई। यहां प्रतिदिन सैकड़ों भक्त दर्शन कर अपने जीवन को कृतार्थ करते हैं। इस मंदिर परिसर में 24 घंटे ही ॐ नमः शिवाय के मंत्र ध्वनि सुनाई पड़ती है। महाशिवरात्रि पर यज्ञ के साथ ही आठ दिवसीय मेला लगता है। सैकड़ों दुकानदार बाहर से अपना सामान बेचने आते हैं। पंडित दिनेश व्यास, पंडित गजेन्द्र व्यास के आचार्यत्व में यज्ञ का आयोजन होता है।

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