- गैर ऐलोपैथिक चिकित्सक चाहते हैं प्रदेश में गठिन हो जन स्वास्थ्य संवर्धन बोर्ड
- ज्ञापन सौंपकर सुनाया दर्द, कहा ऐलोपैथी चिकित्सा प्रैक्टिस की अनुमति नहीं होने से हम पर होती है कार्रवाई
देवास। ऐसे दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र जहां पर विशेषकर शासकीय ऐलोपैथिक चिकित्सक उपलब्ध नहीं है, वहां पर गैर ऐलोपैथिक चिकित्सक वर्षों से अपनी सेवा दे रहे हैं। इनके पास ऐलोपैथिक चिकित्सा के लिए मान्यता नहीं है, लेकिन ये चिकित्सक ही आवश्यकता के समय प्राथमिक उपचार कर गरीबों को स्वस्थ्य कर रहे हैं। हालांकि इनके पास ऐलोपैथिक चिकित्सा की अनुमति नहीं है। इस कारण समय-समय पर स्वास्थ्य विभाग जांच कर कार्रवाई करता है। अब ऐसे चिकित्सक बगैर किसी परेशानी के अपना चिकित्सा व्यवसाय करना चाहते हैं, इसलिए इन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मप्र जन स्वास्थ्य संवर्धन बोर्ड को पुन: गठित कर लागू करने की मांग की है।
बुधवार को अखिल भारतीय चिकित्सा संघ देवास जिला अध्यक्ष डॉ. टीडी वैष्णव के नेतृत्व में जिले के चिकित्सकों ने प्रशासन को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया। ज्ञापन में अपनी परेशानी का जिक्र करते हुए कहा, कि ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में लगभग 2.50 लाख गैर ऐलोपैथिक चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनमें से लगभग 4 हजार चिकित्सक पंजीकृत ट्रस्ट अखिल भारतीय चिकित्सा संघ से जुड़े हैं। हम गैर ऐलोपैथिक चिकित्सक ऐसे स्थानों पर सेवा दे रहे हैं, जहां शासकीय या ऐलोपैथिक चिकित्सक नहीं है। पूरे प्रदेश में गैर ऐलोपैथिक चिकित्सकों की सेवाओं की आवश्यकता अधिक है। इसके बावजूद हमें चिकित्सा प्रैक्टिस की वैधता नहीं दी गई है। इस कारण शासन द्वारा समय-समय पर नोटिस देकर कार्रवाई की जा रही है। कई बार अन्य लोग भी इसी का फायदा उठाते हुए प्रताड़ित करते हैं। ज्ञापन के माध्यम से प्रदेश के दूरस्थ अंचलों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति के बारे में भी अवगत कराया गया। चिकित्सकों ने बताया कि हमें वर्षों का अनुभव हो चुका है। आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान कर हमें शासकीय नियमानुसार प्रशिक्षित किया जा सकता है।
कांग्रेस सरकार आने से नहीं हो पाया बोर्ड का गठन-
डॉ. वैष्णव ने बताया 4 सितंबर 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के सानिध्य में निजी चिकित्सक महापंचायत का आयोजन अखिल भारतीय चिकित्सा संघ के माध्यम से किया गया था। उसमें 8 हजार चिकित्सक शामिल हुए थे। महापंचायत में मुख्यमंत्री के निर्देश पर जन स्वास्थ्य संवर्धन बोर्ड का गठन 5 अक्टूबर 2018 को किया गया। इसी दौरान प्रदेश में कांग्रेस सरकार आ गई। ऐसे में मप्र जन स्वास्थ्य संवर्धन बोर्ड का क्रियान्वयन नहीं हो पाया। अगर बोर्ड का गठन हो जाता तो प्रदेश के ढाई लाख गैर ऐलोपैथिक चिकित्सकों को कानूनी तौर पर चिकित्सा व्यवसाय के लिए अनुमति मिल जाएगी। हमारी मुख्यमंत्री से मांग है कि गैर ऐलोपैथिक चिकित्सकों की सेवाओं को ध्यान में रखते हुए जल्द ही मप्र जन स्वास्थ्य संवर्धन बोर्ड का गठन करवाएं।
कोरोना काल में दी थीं सेवाएं-
सचिव डॉ. सचिन शर्मा, महासचिव डॉ. ओमप्रकाश बैरागी ने बताया, कि कोरोना काल में जब ज्यादातर अस्पताल या ऐलोपैथी चिकित्सक इलाज करने से पीछे हट रहे थे, तब हम लोगों ने जनता के बीच जाकर अपना चिकित्सा दायित्व निभाया। उस समय स्वास्थ्य विभाग की ओर से हर जिले में हम गैर ऐलोपैथिक चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया था। उस समय पत्र जारी कर रूरल मेडिकल प्रैक्टिशनर के नाम से हमें संबोधित भी किया गया। कोरोना के बाद हमारे सेवा कार्यों को महत्वहीन समझ लिया गया।
बोर्ड का पुन: गठन करें सरकार-
डॉ. रामेन कृष्णा राय, डॉ. राहुल सरकार, डॉ. विश्वास सोमनाथ आदि ने बताया, कि प्रदेश के सभी गैर ऐलोपैथिक चिकित्सकों को भविष्य को ध्यान में रखते हुए मप्र जन स्वास्थ्य संवर्धन बोर्ड का पुन: गठन करना चाहिए। ऐसा होने से गैर ऐलोपैथिक चिकित्सकों का प्रशिक्षण की व्यवस्था हो सकेगी। साथ ही शासन में रिकॉर्ड पंजीयन होने से चिकित्सा व्यवसाय में समस्या नहीं होगी।
ज्ञापन देते समय डॉ. प्रतुक सरकार, डॉ. प्रीतिश घटक, डॉ. नीरितेन विश्वास, डॉ. सुजान हलदार, डॉ. विश्वजीत विश्वास, डॉ. बबूल अधिकारी, डॉ. अमोद प्रभात त्रिपाठी आदि सहित बड़ी संख्या में गैर ऐलोपैथिक चिकित्सक उपस्थित थे।
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