– जोंक रोगी के शरीर का अशुद्ध रक्त चूसती है, इस पद्धति से रोगी हो रहे हैं स्वस्थ
देवास। जिले में आयुष विभाग अनूठी पद्धति अपनाकर मरीजों का उपचार कर रहा है। जोंक का नाम सभी ने सुना है पर आयुष चिकित्सा पद्धति में इसका उपयोग वात और चर्म रोगियों के शरीर से अशुद्ध रक्त खींचने में किया जा रहा है। क्षिप्रा के आरोग्य केंद्र में यह परंपरागत चिकित्सा प्रारंभ की गई है।
मध्यप्रदेश शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं में आयुष की परंपरागत चिकित्सा पद्धति की पुर्नस्थापना पर लगातार जोर दिया जा रहा है, ताकि प्रदेश की जनता को स्थानीय स्तर पर सेहतमंद किया जा सके। क्षिप्रा आयुष आरोग्य केन्द्र के प्रभारी डॉ. सुभाषचंद्र भार्गव ने शासन की मंशा अनुरूप भारत की पुरातन आयुर्वेद में वर्णित जोंक से चिकित्सा का सफल प्रयोग किया। चामुंडापुरी देवास निवासी 40 वर्षीय राजेश विट्ठल मनवाने को बीते तीन सालों से वात, पित्त तथा चर्म रोग के कारण काफी जटिल समस्याएं होने लगी थीं।
तीन बार राजेश को जोंक से अशुद्ध रक्त निकालने की तकनीक जालौकाक्चारण एक-एक हफ्ते के अंतराल से किया गया। इसके लिए खास तरह की निर्विष जोंक का उपयोग किया गया। राजेश ने बताया कि बीते तीन सालों की बीमारी में उन्हें पहली बार इतना आराम मिला है। इससे पैरों की जकड़न कम हुई तथा चर्म रोग तो लगभग समाप्त हो गया है। जिला आयुष अधिकारी डॉ. गिर्राज बाथम के अनुसार इस प्राचीन भारतीय परंपरागत पद्धतियों से चिकित्सा के नए आयाम खुलेंगे और ग्रामीणों को उन्हीं के गांव में फायदा मिलेगा। सेहतमंद समाज के लिए आयुष विभाग कटिबद्ध है।
treatment with leeches जोंक से चिकित्सा: देवास के आयुष विभाग ने किया मरीज का सफल इलाज
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