कोमा में गई बच्ची को अमलतास अस्पताल में मिला नया जीवन

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– कई अस्पतालों में इलाज करवाकर निराश हो चुके थे परिजन
देवास। गंभीर रूप से बीमारी से ग्रसित एक बालिका को अमलतास अस्पताल में नया जीवन मिला है। जब अस्पताल में इलाज के लिए बालिका को लेकर परिजन आए थे, तब बालिका की हालत बहुत ही गंभीर थी। कई तरह की बीमारियों ने उसे जकड़ रखा था। परिजन उसे बेहोशी की हालत में लेकर आए थे। यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों ने इलाज शुरू किया और चंद दिनों में बालिका की हालत में तेजी से सुधार हुआ है। चिकित्सकों के अनुसार बालिका जल्द ही पूरी तरह से स्वस्थ्य हो जाएगी और उसकी अस्पताल से छुट्टी कर दी जाएगी।
अस्पताल प्रबंधन के अनुसार 13 वर्षीय नेहा को उसके परिवार के सदस्य बेहोशी की हालत में लेकर आए थे। परिजनों ने बताया कि वे पिछले कुछ दिनों से आसपास के दो-तीन अस्पतालों में इलाज करवा चुके हैं, लेकिन फायदा नहीं हुआ। सुधार के बजाय बालिका की हालत और बिगड़ती गई। कमजोरी के कारण बालिका बोलने की स्थिति में भी नहीं थी। परिजनों ने बताया कि कुछ लोगों ने उन्हें अमलतास अस्पताल ले जाने का सुझाव दिया और फिर यहां पर बालिका को लेकर आए।
बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. नेहा काकानी एवं डॉ. शहबाज खान की देखरेख में बालिका को आईसीयू में भर्ती किया गया। आंखों की पुतली पूरी तरह फैली थी। जांच कर डॉक्टर ने बताया कि बालिका को हाइपोनेट्रिमिया है जिसमें ब्लड में सोडियम का स्तर बहुत कम हो जाता है। टीबी का इन्फेक्शन था, जिसका असर दिमाग तक पहुंच गया, जिससे हाथ-पैर स्थिर हो गए। बालिका अपने परिजनों को पहचान नहीं पा रही थी। अस्पताल में एमआरआई एवं सिटी स्कैन कर मरीज की रीड की हड्डी से पानी निकाला गया, जिससे दिमाग का इन्फेक्शन दिखा। अस्पताल की टीम ने सतत प्रयास किया। हाइपोनेट्रिमिया के निदान के लिए ब्लड में सोडियम का लेवल को मापा गया एवं इसकी वजह का पता लगाया गया, जो कि ज्यादा जटिल काम है। अब मरीज की स्थिति में सुधार है एवं जल्द ही पूर्ण ठीक कर उसकी छुट्टी कर दी जाएगी। मरीज का आयुष्मान भारत योजना अंतर्गत नि:शुल्क उपचार हो रहा है। अमलतास अस्पताल के चेयरमैन मयंकराज सिंह भदौरिया ने सभी चिकित्सकों एवं पीआईसीयू टीम को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए बधाई दी।

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