- नौ साल की उम्र से ही शुरू कर दिया मंजीरा सीखना
- कबीर की वाणी को अनूठे तरीके से सुराें में पिरोकर प्रस्तुत करते हैं
टोंकखुर्द (विजेंद्रसिंह ठाकुर)। जिले के छोटे से गांव कन्हेरिया के टोंकखुर्द में रहने वाले ख्याति प्राप्त कबीर भजन गायक कालूराम बामनिया को पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया है। वे कबीर की वाणी को अपने अनूठे तरीके से सुरों में पिरोकार प्रस्तुत करते हैं।
मालवा की माटी में जन्मे कालूराम बामनिया कबीर की वाणी, गोरखनाथ, बन्नानाथ और मीरा के भजनों को अपने अलग अंदाज में गाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। उन्होंने 9 साल की कम उम्र में ही अपने पिता, दादा और चाचा के साथ मंजीरा सीखना शुरू कर दिया था। जब वे 13 वर्ष के थे, तब कबीर की भक्ति में इतने लीन थे, कि उन्होंने घर को छोड़ दिया था। वे 2 वर्ष के लिए भ्रमणशील मिरासी गायक राम निवास राव के साथ रहकर कबीर की वाणी का संदेश लोगों तक पंहुचाते रहे। इसके बाद उनका सफर शुरू जो आज तक अनवरत जारी है। इस अवसर पर जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट बामनियाजी के घर पहुंचे और उनका सम्मान कर बधाई दी। उनके साथ जिला अध्यक्ष राजीव खंडेलवाल, प्राधिकरण अध्यक्ष राजेश यादव, पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष उमेश श्रीवास्तव, राजेंद्र बगानिया आदि उपस्थित थे।
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