- आनंद मार्ग में महिला एवं पुरुष दोनों को समान पौरोहित्य का अधिकार
देवास। आनंद मार्ग प्रचारक संघ देवास के भुक्तिप्रधान दीपसिंह तंवर ने बताया, कि आनंद मार्ग के धर्म महासम्मेलन में 72 घंटे के अखंड कीर्तन सिद्ध महामंत्र बाबा नाम केवलम की समाप्ति पर हजारों साधकों को संबोधित करते हुए आचार्य सवितानंद अवधूत ने कहा, कि मनुष्य को घास जैसी विनम्रता, वृक्ष जैसी सहनशक्ति को विकसित करते हुए सदैव कीर्तन गायन करना चाहिए। यही मनुष्य का मूल कर्तव्य है।
धर्म महासम्मेलन में जाति-पाति, रंगभेद, नस्लवाद और दहेज प्रथा को दूर करने के लिए 20 जोड़ी अंतरजातीय विवाह (क्रांतिकारी विवाह) संपन्न हुआ। आशीर्वाद पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदवानंद अवधूत दादा ने दिया। इस अवसर पर ग्लोबल सेक्रेटरी आचार्य अभिरामानंद अवधूत, आचार्य मधुव्रतानंद अवधूत, आचार्य रामेंद्रानंद अवधूत, आचार्य अनिर्वनानंद अवधूत, मार्ग के मीडिया प्रभारी सुनील आनंद, आचार्य शांतव्रतानन्द अवधूत, डॉ. अशोक शर्मा आदि उपस्थित रहे।
आनंद मार्ग पद्धति में बिना तिलक, दहेज का एवं जातिविहीन संप्रदायविहीन विवाह को प्राथमिकता दी जाती है। इस विवाह में वर एवं वधु दोनों के परिवार की सहमति अति आवश्यक है। वर-वधु समान विचारधारा के हो तभी विवाह को सफल बनाया जाता है। मार्ग प्रचारक संघ की अवधूतिका आनंद रुद्रवीणा आचार्या का कहना है, कि महिला तो भौतिक स्तर पर स्वालंबी हो रही है, परंतु उन्हें मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर भी विकसित होने का अवसर प्रदान करना होगा। हम महिलाओं को केवल पुरोहितगिरि का अधिकार ही नहीं बल्कि महिलाओं को वैवाहिक कार्यक्रम, दाह संस्कार, कर्म, श्राद्ध कर्म करने का भी अधिकार समाज को देना होगा। आज तक समाज में पुरुष पौरोहित्य के द्वारा ही सारे धार्मिक कर्मकांड संस्कार कार्यक्रम संपन्न होता था।
आनंद मार्ग के संस्थापक श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने महिलाओं को पौरोहित्य गिरी का अधिकार देकर महिला सशक्तिकरण को मजबूत किया। समाज में सभी को समान अधिकार है, इससे किसी को वंचित करना घोर पाप है। इसका भेदभाव समाज में खत्म करना होगा तभी समाज का सर्वांगीण विकास संभव होगा। संस्कार एवं श्राद्ध कराने का भी अधिकार दिया गया है। आनंद मार्ग के संस्थापक श्रीश्री आनंदमूर्ति ने महिलाओं को पौरोहित्य गिरि का अधिकार देकर महिला सशक्तिकरण को मजबूत किया है। उक्त जानकारी संघ के उप भुक्तिप्रधान हेमेंद्र निगम काकू ने दी।
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