जहां मनुष्य कुंठाओं से मुक्त होकर ईश्वर प्रेम की अनुभूति करता है, वह कहलाता है वैकुंठ धाम
देवास। आनंद मार्ग प्रचारक संघ देवास के भुक्ति प्रधान दीपसिंह तंवर एवं आचार्य हृदयेश ब्रह्मचारी ने बताया कि आनंद नगर में विश्व स्तरीय धर्म महा सम्मेलन 1 जनवरी तक आयोजित किया जा रहा है।
आचार्य अनिर्वानंद अवधूत ने बताया, कि पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने अपने प्रथम आध्यात्मिक उद्बोधन में वैकुंठ सर्वाेच्च धाम पर वक्तव्य रखते हुए कहा कि अनेक धामों में यथा गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ धाम है, उसी प्रकार एक धाम है वैकुंठ धाम, जहां किसी भी प्रकार की कोई संकोच ना हो, कुंठा ना हो अर्थात जहां किसी भी प्रकार की कोई संकुचित चिंता नहीं होती है। उन्होंने कहा कि यह कुंठाएं मानसिक होती हैं। हीन मान्यता और महा मान्यता जो परम पुरुष से मनुष्य को अलग रखता है। वैकुंठ मन की वह अवस्था है, जहां ना तो हीन मान्यता है और ना ही महा मान्यता है। परम पुरुष की गोद में पहुंचकर मनुष्य इन कुंठाओं से मुक्त होकर परम आत्मीय ईश्वर प्रेम की अनुभूति करता है, वही वैकुंठ कहलाता है।
उन्होंने कहा, कि आनंदमार्गियों के लिए आनंद नगर वैकुंठ के समान है। यहां आकर साधक आनंद की अनुभूति करते हुए कीर्तन करते हैं, साधना करते हैं। यहां मन आनंद तरंगों में तरंगायित रहता है, क्योंकि बाबा हरि उनके मन में बस जाते हैं। हरि रूप में भक्तों के मन में व्याप्त कुंठित विचारों का हरण कर लेते हैं और परम आनंद की अनुभूति कराते हैं। उन्होंने कहा, कि एक बार बाबा ने आनंद नगर में कहा था कि यहां मेरे बेटियां संकोच रहित रहती है। साधकों को चाहिए कुंठा रहित होकर कीर्तन करें। बाबा भाव में रहे। दिन-रात कीर्तन करें, यह हम सभी का वैकुंठ है। प्रथम दिन प्रातः पांचजन्य से शुभारंभ हुआ। विदेश सहित देवास, उज्जैन, इंदौर, सीहोर, भोपाल, होशंगाबाद आदि जिलों के डॉ. अशोक शर्मा, तन्मय निगम, अशोक वर्मा सहित आनंदमार्गी साधक बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। यह जानकारी संस्था के हेमेंद्र निगम काकू ने दी।
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