– महाराज विक्रमसिंह पवार ने संध्या आरती में शामिल होकर सद्गुरु मंगल नाम साहेब से भेंट की
देवास। संसार में जितने भी जीव चराचर है, उनकी देह वृक्ष पर लगे पत्तों के समान है, जो अंकुरित होकर लहराते हैं और फिर झड़ जाते हैं। वैसे ही जीव में से देह अंकुरित होकर बचपन, जवानी, बुढ़ापे के रूप में लहराती है और फिर अंत में झड़ जाती है।
यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने सद्गुरु कबीर सर्वहारा प्रार्थना स्थली सेवा समिति मंगल मार्ग टेकरी द्वारा चूना खदान पर आयोजित संध्या आरती, गुरुवाणी पाठ में व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा, कि गुरु को कोई चाह नहीं है संसार की, लेकिन संसार को दुखी देखकर गुरु आता है संसार में योग्य शिष्य ढूंढने को। वह संसार को रास्ता बता दे तो मेरा झंझट खत्म हो। मैं कब तक रास्ता दिखाऊंगा। तो गुरु ने शिष्य को सुर गुरु का भेद दिया है। सुर गुरु को जान लो जो युगों-युगों से सबके साथ है। जो बचपन, जवानी, बुढ़ापा, रजोगुण, तमोगुण, राग द्वेष से रहित है। सुरगुरु सबके साथ जागृत अवस्था में है। एक ऐसा योग्य शिष्य जो गुरु की आज्ञा का अनुसरण कर जीवों पर दया करें। उन्होंने कहा, कि सद्गुरु वही है जो भूले को रास्ता दिखा दे। संसार के भटकाव से दूर कर सदमार्ग पर ले जाए।आजकल गुरुओं की कमी नहीं है। हर जगह गुरु मिल जाएंगे। हर कहीं से सीख सकते हैं। पत्तों से भी सीख लो। संसार की असारता ऐसी है, कि कितने दिन लहराया और बाद में झड़ गया। सीखने वाले के लिए तो बहुत कुछ है, लेकिन जिंदगी भर हम सीख नहीं पाते हैं और सीखने वाला झाड़ के पत्ते से भी सीख सकता है कि दुनिया की असारता क्या है। संध्या आरती में महाराज विक्रमसिंह पवार ने शामिल होकर सद्गुरु मंगल नाम साहब से सप्रेम भेंट की। सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने स्व. महाराज तुकोजीराव पवार की याद ताजा करते हुए बताया, कि महाराज लगभग 25 वर्ष पूर्व पहली बार जब कबीर आश्रम आए तो उन्होंने कबीर आश्रम का उबड़-खाबड़ पहुंच मार्ग देखकर रास्ता बनवाया। नगर निगम से पेयजल पाइप लाइन डलवाकर मानव सेवा का अनुकरणीय कार्य किया। महाराज विक्रमसिंह पवार से आशा है कि कबीर आश्रम मंगल मार्ग टेकरी का एंबुलेंस पहुंच मार्ग चालू करवाकर दिव्यांगों, असहायों, पीड़ितों की सेवा में सहभागी बने। इस अवसर पर महापौर प्रतिनिधि दुर्गेश अग्रवाल, सेवक शंकरलाल प्रजापति राजेंद्र चौहान सहित साध-संगत उपस्थित थे।
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