नर्मदा के पावन तट पर गुरु के सानिध्य व संतों की उपस्थिति में बढ़ जाता है कथा श्रवण का महत्व- पं. प्रदीप मिश्रा

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नेमावर (संतोष शर्मा)। भागवत महाग्रंथ तो कल्याण करता ही है। मां नर्मदा के पावन तट पर नागोरिया पीठाधीश्वर स्वामी विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज के सानिध्य में संतों के दर्शन के साथ कथा श्रवण का अवसर अपना सोभाग्य है। कथा श्रवण करने के पूर्व आपको अपने गुरु के दर्शन होते हैं, जिससे मन के सारे विकार स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं। मन, धर्म के साथ कर्म की ओर लग जाता है।
राष्ट्रीय कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने श्री बालमुकुन्द सेवाश्रम नेमावर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा में प्रसंग से यह बात श्रद्धालुओं को समझाई। भागवत महाग्रंथ, संत व गुरु का सानिध्य है, जो त्रिवेणी संगम जैसा मनमोहक लगा। पीठाधीश्वर स्वामी वेकंटेश प्रपन्नाचार्य के श्रीमुख से कथा श्रवण के साथ नित्य संतों के दर्शन प्राप्त होना परम सौभाग्य है। राजा परीक्षित को अपनी मौत से बेचैन देख शुकदेव मुनि ने कहा राजन कितने समय से भटक रहे हो। राजा परीक्षित ने कहा गुरुदेव जिस दिन से जन्म हुआ, अब शरणागति चाहिए। पं. मिश्रा ने समझाया कि सप्ताह में सात दिन होते है, किंतु परिवार इसमें आठवां दिन है। कथा श्रवण के दौरान यह याद नहीं आना चाहिए, तभी मन चित्त होगा और जीवन सार्थक होगा। प्राचीन पीठ जैसे रामानुज सम्प्रदाय (हजार वर्ष पुरानी) सहित अन्य प्राचीन पीठ के गुरुओं से दीक्षा लो। यही तुम्हारा मार्ग प्रशस्त करेंगे। असली गुरु भी अपने चेले को धर्म, कर्म की बात के साथ हरि स्मरण का मार्ग प्रशस्त करता है।

नागौरिया पीठाधीश्वर स्वामी विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा पं. प्रदीप मिश्रा ऐसा व्यक्तित्व है, जिसने नगर-नगर, गांव-गांव में सनातन का शंखनाद कर दिया। लोग चमत्कार देखकर धर्म की तरफ आकर्षित होते हैं किंतु आपने ऐसा उपदेश किया, कि सभी मंदिर जाने लगे।

कथा के प्रारंभ में व्यासपीठ से गया पीठाधीश्वर स्वामी वेंकटेश प्रपन्नाचार्य महाराज ने गोपी-विरह के भावपूर्ण प्रसंग को समझाया। कार्यक्रम में विधायक आशीष शर्मा भी व्यवस्था में लगे रहे। कृषि मंत्री कमल पटेल भी उपस्थित थे। स्वामी विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज के सानिध्य में गिरधर बियाणी, मनोज होलानी, राधेश्याम धूत, गोपालदास सिंगी, रूपेश सिंगी, राजेश सिंघल, विष्णुप्रसाद धूत आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।

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