भोपाल। राज्य मंत्री स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) इंदरसिंह परमार ने कहा कि एनसीईआरटी द्वारा कक्षा 1 एवं 2 के लिए निर्मित नवीन पाठ्य पुस्तकों को प्रदेश में लागू करने के लिए विषय-विशेषज्ञ का कार्यसमूह बनाकर समीक्षा करें। बच्चों को रटने के बजाय व्यवहारिक अनुभव कराने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करें। पाठ्यक्रम में गांव की विशेषताएं शामिल हों और उन्हें गतिविधियों के रूप में जोड़ा जाए।
हिंदी, संस्कृत एवं अन्य भाषाओं की पुस्तकें उसी भाषा के शब्दों में लिखी जाए, आवश्यकता अनुरूप प्रचलन के शब्दों को कोष्ठक में लिखा जाए। पाठ्यक्रम प्रदेश के अनुकूल हो, प्रदेश के नायकों, महापुरुषों, भौगोलिक दृष्टि, सामाजिक परिवेश आदि समस्त क्षेत्रों का सही संदर्भों में उल्लेख हो। उन्होंने गणित को व्यवहारिक उपयोग अनुरूप सिखाने के लिए कहा।
राज्य मंत्री श्री परमार ने यह निर्देश पाठ्य पुस्तक स्थायी समिति की बैठक में दिए। बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप पाठ्य पुस्तक निर्माण के पूर्व विभिन बिंदुओं पर व्यापक चर्चा हुई।
श्री परमार ने कहा कि महापुरुषों के प्रेरक प्रसंगों में भाव निहित हो, इसके लिए पाठ्य का सही संदर्भ में लेखन हो। महापुरुषों को ऐसा पढ़ाया जाए कि उनका चित्र स्वाभाविक रूप से मानस पटल पर दिखने लगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप माध्यमिक शिक्षा बच्चों के समग्र विकास के लिए परंपरागत कौशल विकास आधारित हो। बैठक में पिछली बैठक के कार्यवृत का अनुमोदन भी हुआ। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या (एसई) 2023 के संदर्भ में आगामी रूपरेखा पर भी चर्चा की गई। बैठक में पाठ्य पुस्तक स्थायी समिति के अध्यक्ष प्रकाश वर्तुनिया एवं संचालक राज्य शिक्षा केंद्र धनराजू एस सहित समिति के अन्य पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित रहे।
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