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Melghat | मेलघाट के खार्या गांव में मेघनाथ पूजन, पारंपरिक नृत्यों से आकर्षित किया ध्यान

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मेलघाट के खार्या गांव में मेघनाथ पूजन, पारंपरिक नृत्यों से आकर्षित किया ध्यान

अमरावती. देश के अनेक क्षेत्रों में आदिवासी समाज रहता है. उनकी परंपरा व रितीरिवाज भी भिन्न होते है, किंतु मेलघाट के कोरकु आदिवासी समाज की परंपरा बिल्कुल ही विश्व से भिन्न है. त्यौहार मनाने की पध्दति तो प्रत्यक्ष में जीवन का आनंद लूटने की और मानवी सुख प्राप्त करने का एक स्वर्ण अवसर है.  मेलघाट के रायपुर, दाबिदा, कारा, सादराबाडी और खार्या गांव में मेघनाथ महोत्सव मनाया जाता है. इसमें सबसे भिन्न प्रकार से धारणी समीप के खार्या गांव में मेघनाथ पूजा आयोजित हुआ करती है.

इन गांवों में अबकी बार मेघनाथ के स्थान पर भव्य नृत्य स्पर्धा का आयोजन भी किए जाने के कारण अबकी बार की मेघनाथ पूजा ऐतिहासिक साबित हुई. गांव के आडा पटेल, परसराम भिलावेकर के आदेश पर मेघनाथ पूजा का आयोजन किया गया. आदिवासी मान्यता के अनुसार पश्चिम दिशा में भीम, पूर्व में कुंभकर्ण, उत्तर में फगनाथ तथा एक दिशा में होली दहन का स्थान चार दिशाओं के बीचोंबीच मेघनाथ, भीम और कुंभकर्ण ये सभी लकडी से बनाए हुए होते है.

पारंपरिक गीत व संगीत नृत्य

सर्व मान्य देवताओं की पूजा क्रमानुसार किए जाने पर मेघनाथ की महापूजा की गई. उससे पूर्व फगवा के और विविध पारंपरिक गीत व संगीत पर महिलाओं का नृत्य लगभग 2 घंटे चला. संपूर्ण गांव इस स्थान पर उपस्थित था. गांव का भूमका मेघनाथ के नीचे (लकडी का डोलारा) बैठकर एक एक भक्त को टीका लगाता है. सभी महिला – पुरूष इस स्थान पर मेघनाथ पूजा करके भूमका का आशीर्वाद लेते है. भूमका अर्थात गांव का गुरू होता है.

भगवान के बाद उसका स्थान प्रथम पूजनीय माना जाता है. मेघनाथ अर्थात लकडी से तैयार किया गया एक डोलारा होता है. भूमका के आदेश पर एक मनुष्य ऊपर चढता है. ऊपर लकडी के मचान पर रखा गया कोहला (भुर्कोला) दहीहांडी के समान फोडकर ऊपर से ही प्रसाद के लिए उपस्थित जनसमुदाय की दिशा में फेंका जाता है. प्रसाद हाथ में पकडने के लिए लोग भीड करते है. यह प्रकार भी भक्तिभाव के  साथ मनोरंजन और खेल का आनंद देनेवाला साबित होता है. इस अवसर पर मुख्य आकर्षण होता है, महिलाओं का आदिवासी नृत्य बीचोंबीच 10 – 15 पुरूष ढोल, मंजीरा, मृदंग बजाते रहते है. उनके चारों ओर महिलाओं का झुंड होता है.  एक ही ताल पर एक ही गति से गीत गाकर किया जानेवाला नृत्य देखने जैसा होता है. उत्तर दिशा में पुरूषों की फागनाथ गीत संगीत की महफिल होती है. 

परंपरागत वेशभूषा व आभूषण

परंपरागत वेशभूषा व चांदी के आभूषण पहनी हुई महिलाएं व लडकियों का लोकनृत्य मेघनाथ महोत्सव के लिए एक अलग ही आकर्षण होता है. इस अवसर पर भूमका कास्देकर, आडा पटेल, परसराम भिलावेकर, यात्रा अध्यक्ष ओमकार मावस्कर, यात्रा संयोजक बालकराम कास्देकर, जीवराम दहीकर, वामण बारसागडे, सरपंच लालू दहीकर, एड. सुभाष मनवर, सुनील चौथमल, राजू राठोड, श्रीपाल पाल, विजय नांदुरकर, संतोष बैस,रवि पटेल का सत्कार किया गया.



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