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ग्वालियर के राजघराने में हुआ था राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का जन्म, राजनीति में रखती हैं अलग अंदाज

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भाजपा की वरिष्ठ नेता और राजस्थान की पहली महिला सीएम रह चुकी वसुंधरा राजे किसी पहचान की मोहताज नहीं है। वह एक राजघराने से ताल्लुक रखती हैं। बता दें कि उनके पिता ग्वालियर के महाराजा थे।

वसुंधरा राजे सिंधिया भाजपा की वरिष्ठ नेता हैं। इसके अलावा वह राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं। बता दें कि वसुंधरा राजे ग्वालियर राजघराने की पुत्री हैं। इनके पिता ग्वालियर राज्य के पूर्व महाराजा थे। वह एक ऐसी महिला नेता है, जिन्होंने सफलता के शिखर तक अपनी राजनीतिक सफर को पहुंचाया है। ग्वालियर के राजघराने में जन्मी वसुंधरा 5 बार सांसद तो 2 बार राजस्थान की मुख्यमंत्री बनी। आज ही के दिन वसुंधरा का जन्म हुआ था। आज इस आर्टिकल के जरिए उनके जीवन से जड़ी कुछ बातें बताने जा रहे हैं।

जन्म और शिक्षा

वसुन्धरा राजे का जन्म मुम्बई में 8 मार्च 1953 को हुआ था। उनके पिता जीवाजीराव सिन्धिया और मां का नाम विजयाराज सिन्धिया को ग्वालियर का राजा कहा जाता था। आपको बता दें कि वसुंधरा राजे मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता माधव राव सिंधिया की बहन हैं। वसुंधरा के माता-पिता की प्रतिष्ठित व्यक्तियों में गिनती होती थी। वसुंधरा के पिता महाराजा जीवाजी राव सिंधिया का आजादी से पूर्व भारत के मध्य ग्वालियर में सबसे भव्य राजघराना हुआ करता था। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा तमिलनाडु के Presentation Convent Kodaikanal स्कूल से की है। वहीं राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री भी ली है।

राजनीतिक करियर

वसुंधरा राजे ने साल 1984 में अपने राजनितिक सफर की शुरूआत की थी। उन्होंने साल 1984 में मध्यप्रदेश की भिंड लोकसभा से पहला चुनाव लड़ा। बता दें कि इसी साल इंदिरा गांधी की हत्या के कारण कांग्रेस को जनता की सहानुभूति से जीत मिली और वसुंधरा राजे को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। वह ससुराल की धौलपुर सीट से 1985 में विधानसभा चुनाव लड़ीं तो पहली बार विधायक बनीं। इसके बाद वह साल 1985 से 1987 तक भाजपा की युवा मोर्चा राजस्थान की उपाध्यक्ष रहीं। 

वसुंधरा राजे के काम और जनता के प्रति सेवाभाव को देखते हुए वसुंधरा को साल 1998 से लेकर 1999 तक अटलबिहारी वाजपेयी जी के मंत्रिमंडल में विदेश राज्य मंत्री का पद मिला। वहीं साल 1999 में वसुंधरा को केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री का प्रभार प्राप्त हुआ। साल 2003 में वसुंधरा राजे का कमाल ही था कि भाजपा पहली बार अपने दम पर राजस्थान में सत्ता में आई थी। लेकिन साल 2009 में उन्हें नेता विपक्ष के पद से इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि वसुंधरा राजे की महारानी वाले अंदाज की कार्यशैली से कैडर से बंधे आरएसएस और बीजेपी के नेताओं को हमेशा शिकायत रही।

ऐसे राजनीति में चमकी किस्मत

वसुंधरा के सियासी सफर में उनकी किस्मत ने उनका काफी साथ दिया। साल 2003 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने के दौरान राज्य के दो शीर्ष नेता दिल्ली यानि कि केंद्र में जा चुके थे। जिनमें से भैरो सिंह शेखावर उस दौरान उप राष्ट्रपति थे और जसवंत सिंह केंद्रीय मंत्री पद पर थे। जिसके कारण पार्टी ने वसुंधरा की अगुवाई में राजस्थान में चुनाव लड़ने का फैसला लिया। वहीं जनता पर उनका जादू खूब चला और पहली बार अपने दम पर भाजपा ने 110 सीटें जीतकर राजस्थान में सरकार बनाई। जिसके बाद वसुंधरा राजस्थान की पहली महिला सीएम बनीं।

वसुंधरा राजे का काम करने का तरीका अन्य नेताओं से हमेशा अलग रहा। वह जिस स्थान पर जाती तो वहां की महिलाओं की वेशभूषा पहनकर उनसे मिलती। उनकी परेशानियों को जनता के तरीके से समझतीं। वसुंधरा समाज सेवा तथा राजनीतिक चेतना के संस्कार अपनी माता विजया राजे सिन्धिया से मिले थे। जब वह राजस्थान की सीएम बनीं तो इस दौरान उन्होंने अक्षय कलेवा, मिड-डे-मील योजना, पन्नाधाय, भामाशाह योजना हाडी रानी बटालियन और महिला सशक्तीकरण पर खूब काम किया। 

वह साल 2003 से लेकर 2008 तक राजस्थान की प्रथम महिला सीएम के तौर पर कार्य करने का मौका मिला। अपने कामों और जनता के प्रति समर्पण और विनम्रता दिखाने वाली वसुंधरा राजे 13वीं राजस्थान विधानसभा के लिए झालावाड़ के झालरापाटन क्षेत्र से फिर निर्वाचित हुईं। इस दौरान वह साल 2009 से 2010 तक राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहीं।

विधायक

1. 1985-90 सदस्य, 8वीं राजस्थान विधान सभा

2. 2003-08 सदस्य, 12वीं राजस्थान विधान सभा में झालरापाटन से

3. 2008-13 सदस्य, 13वीं राजस्थान विधान सभा झालरापाटन से

4. 2013 सदस्य, 14वीं राजस्थान विधान सभा झालरापाटन से

सांसद

1. 1989-91 : 9वीं लोक सभा सदस्या

2. 1991-96 : 10वीं लोक सभा सदस्या

3. 1996-98 : 11वीं लोक सभा सदस्या

4. 1998-99 : 12वीं लोक सभा सदस्या

5. 1999-03 : 13वीं लोक सभा सदस्या

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