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मध्यप्रदेश के सीएम ने बर्थडे पर जनता से मांगा स्पेशल गिफ्ट, 64 साल के हो जाएंगे ‘मामा’ शिवराज सिंह चौहान

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मध्यप्रदेश के सीएम पहली बार साल 2005 में सीएम बने थे। इसके बाद वह लगातार कई बार सीएम बन जनता का भरोसा जीत चुके हैं। आपको बता दें कि सीएम शिवराज को संगीत में काफी रुचि है। इसके अलावा वह क्रिकेट और कबड्डी आदि खेलों को भी काफी पसंद करते हैं।

मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान 29वें मुख्यमंत्री के तौर पर सत्ता संभाल रहे हैं। बता दें कि शिवराज भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और आरएसएस के कार्यकर्ता भी हैं। शिवराज को मध्यप्रदेश की जनता प्यार से मामा कहकर भी बुलाती है। 5 मार्च को शिवराज सिंह चौहान का जन्म किसान परिवार में हुआ था। यह अपने बचपन के ही दिनों से सामाजिक कार्यों और लोगों की सेवा में लग गए थे। वहीं इन्होंने मध्यप्रदेश की जनता के लिए कई अहम फैसले लिए हैं। शिवराज सिंह ने इस बार अपना जन्मदिन मनाने से इंकार कर दिया है। इस बार उन्होंने जनता से गिफ्ट के तौर पर एक पेड़ लगाने की अपील की है। इस आर्टिकल के जरिए हम आपको शिवराज सिंह चौहान के जीवन से जुड़ी कुछ बातें बताने जा रहे हैं। 

जन्म और शिक्षा

मध्य प्रदेश के सिहोर ज़िला के जैतगांव में 5 मार्च 1959 को एक किसान परिवार में शिवराज सिंह चौहान का जन्म हुआ था। बता दें कि वह किरारा राजपूत के परिवार से ताल्लुक रखते हैं। शिवराज के पिता का नाम प्रेमसिंह चौहान और उनकी माता का नाम सुंदरबाई चौहान है। साल 1975 में मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल में वह 16 साल की उम्र में छात्रसंघ के अध्यक्ष भी बने। उन्होंने भोपाल के बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र से स्वर्ण पदक के साथ अपना पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया।

शौक

पेशे से किसान के घर में जन्में शिवराज सिंह चौहान को संगीत से काफी लगाव है। इसके अलावा उन्हें धार्मिक साहित्य पढ़ने और मित्रों के साथ वाद-विवाद में हिस्सा लेना पसंद है। साथ ही सैर करना, गाने सुनना और फिल्में देखना उनके मनोरंजन के साधन हैं। वहीं शिवराज को कबड्डी, क्रिकेट मैच में भी काफी इंट्रेस्ट है।

शादी

आपको जानकर हैरानी होगी कि शिवराज सिंह ने आजीवन शादी न करने की कसम खाई थी। वह आजीवन कुंवारे रहना चाहते थे। लेकिन साल 1992 में साधना सिंह के साथ विवाह किया। शिवराज के दो बेटे हैं। बता दें कि उन्होंने राजनीति की ओर रुख करने से पहले आरएसएस के कार्यकर्ता के रूप में सेवाएं देना शुरू किया था। वह महज 13 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे।

RSS कार्यकर्ता और राजनीति

शिवराज सिंह चौहान को अखिल भारतीय विद्यालय परिषद भोपाल के आयोजन सचिव बनाया गया। इसके बाद उनके अच्छे कार्य को देखते हुए साल 1978 एबीवीपी मध्य प्रदेश के संयुक्त सचिव के पद की जिम्मेदारी सौंपी गई और फिर 1980 में महासचिव के रूप में पदोन्नति हुई। इस दौरान वह अपने कार्यों को पूरी लगन और मेहनत से करते गए। जिसके कारण वह साल दर साल सफलता की सीढ़ी चढ़ते जा रहे थे। 1982 में शिवराज को राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया। वहीं शिवराज 1984 में भाजपा में मध्य प्रदेश के युवा मोर्चा से पार्टी में शामिल हुए और 1 साल के अंदर ही उनको संयुक्त सचिव का पद सौंप दिया गया।

राजनीति करियर

बता दें कि साल 1990 में 31 साल की उम्र में शिवराज बुधनी निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा के लिए चुने गए थे। इस दौरान शिवराज को जनता का खूब प्यार मिला था। विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को 22 हजार से अधिक मतों से हराया और पहली बार विधायक के तौर पर उन्हें जनता ने चुना। इसके 1 साल बाद 1994 में अटल बिहारी ने विदिशा संसदीय सीट से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद शिवराज विदिशा सीट से उम्मीदवार बनकर चुनावी मैदान में उतरे। इस सीट पर भी शिवराज का जादू बरकरार रहा और सबसे कम उम्र के सांसदों में उनका नाम शामिल हो गया। जिसके बाद साल 1996 में शिवराज ने एक बार फिर विदिशा सीट से 11वीं लोकसभा में सांसद के रूप में जीत हासिल की। इस दौरान केंद्र सरकार में इन्हें कई पदों की जिम्मेदारियां मिलीं।

शिवराज सिंह चौहान साल 1998 में 12 वीं लोकसभा से फिर निर्वाचित हुए। इस दौरान इन्हें शहरी तथा ग्रामीण विकास समिति के सदस्य की जिम्मेदारी मिली। अपने काम से शिवराज लोगों का दिल जीतते चले गए। शायद यही कारण रहा कि वह साल 2004 में 13वीं लोकसभा में लगातार 5वीं बार जीत हासिल की। जिसके बाद यह कृषि समिति के सदस्य बनाए गए। साल 2005 में भाजपा ने शिवराज को पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया और नवंबर 2005 को वह पहली बार जनता के सीएम के तौर पर चुने गए। साल 2008 में जनता ने एक बार फिर उन पर अपना विश्वास जताते हुए सीएम पद के लिए चुना और शिवराज दूसरी बार मुख्यमंत्री बनें। 

इसके बाद 2013 में शिवराज ने लगातार तीसरी बार सीएम बनकर जनता का विश्वास जीता। शिवराज ने बतौर सीएम पद की जिम्मेदारी को लंबे समय तक दिए जाने का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया। हालांकि साल 2018 में शिवराज का तिलिस्म जनता के बीच से टूट गया और उन्हें मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। लेकिन कहते हैं कि राजनीति में कुछ स्थाई नहीं होता। राजनीतिक घटनाक्रम बदला और वहीं की सरकार अपनी सीटें बचाने में नाकाम रही। जिसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के विधायको के समर्थन से शिवराज ने मुख्यमंत्री के तौर पर पदभार संभाला। 

रिकॉर्ड और उपलब्धियां

शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री का पदभार संभालने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है। उन्होंने जनता के हितों के लिए कई जन आंदोलन भी किए हैं। जिसके कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा है। वहीं वह मध्यप्रदेश की जनता के हित में कई फैसले लिए हैं। उन्होंने चिकित्सा, बेटियों की शिक्षा और उनकी शादी के बारे में भी कई अहम फैसले लिए हैं। 

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