धर्म-अध्यात्म

चांद दिखते ही अर्ध्य देकर खोला कठिन व्रत

क्षेत्र में करवा चौथ हर्षोल्लास के साथ मनाया गया
बेहरी। कार्तिक माह की कृष्ण चतुर्थी को पति की उम्र बढ़ाने वाला करवां चौथ व्रत पूरे क्षेत्र में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। विदेशों में भी इस व्रत का पालन भारतीय सनातन धर्म से जुड़े परिवारों की महिलाओं द्वारा किया गया। इस बार 8:20 पर चंद्रमा दिखने की खबर लगते ही व्रतधारक महिलाएं पूजा की तैयारी करने लगी। जिसको जहां उचित लगा वहां से चांद के दर्शन कर पहले चंद्रमा की पूजा की एवं बाद में पति की पूजा करते हुए व्रत खोला।

बेहरी के वरिष्ठ पंडित सुरेशचंद उपाध्याय ने बताया कि इस व्रत का विवरण पुराने धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। दीपावली के 11 दिन पहले आने वाला व्रत कई मायनों में परिवार को जोड़ने वाला है। विशेषकर महिलाओं द्वारा यह पर्व अपने परिजन एवं पति के साथ रहकर ही मनाया जाता है। विपरीत परिस्थिति में पीहर या अन्य स्थान पर मनाया जा सकता है। दीपावली के 11 दिन पूर्व इस व्रत का आना इस बात का संकेत है, कि पुराने समय में व्यापार-व्यवसाय के लिए अधिकतर घर के मुखिया देश-प्रदेश की सीमाओं को लांघकर दूरस्थ क्षेत्र में चले जाते थे। इस व्रत से दो संदेश जाते हैं पहला संदेश यह कि जहां पर भी सुहाग कार्यरत हो वह सकुशल रहे, दूसरा यह कि वह प्रयास करता है कि इस तिथि पर अपने परिजनों के पास विशेषकर अर्धांगिनी के पास आ जाए। एक बात उपाध्याय ने स्पष्ट कही कि यह व्रत फैशनेबल रूप में कभी ना लें, इसके भी सनातन नियम है। नियम का पालन करते हुए ही व्रत धारण करें। कई लोग परिवार सहित इस दिन होटल या अन्य रेस्टोरेंट में भोजन करने जाते हैं। यह हमारी संस्कृति नहीं है। सास-ससुर, माता-पिता और बच्चों के बीच इस पर्व का निर्वहन करना चाहिए। बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना चाहिए। भारत-तिब्बत समन्वय संघ की प्रांतीय प्रवक्ता शोभा गोस्वामी ने सभी सुहागिन महिलाओं को इस पर्व की बधाई दी।

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