देवास। सारा संसार अहंकार और अभिमान से भरा हुआ है। जब तक हम अपनी ओर नहीं लौटोंगे, आपका उजियारा आपको नजर नहीं आएगा। अहंकार और अभिमान को चुन-चुनकर हटाओ तब घट का चौका उजियारा होगा। इसलिए दीपक जलाकर अपनी ओर लौटने का संत हमें संकेत दे रहे हैं। संतों के लिए रोज दिवाली और रोज बसंत है, क्योंकि वह एक व्यापक उजाले में प्रवेश कर चुके हैं और हम अभी उससे कोसों दूर है। जब तक अहंकार और अभिमान नहीं मिटेगा तब तक घट का उजियारा नहीं दिखेगा।
यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने दीपावली के उपलक्ष्य में सदगुरु कबीर सर्वहारा प्रार्थना स्थली सेवा समिति मंगल मार्ग टेकरी द्वारा आयोजित गुरु-शिष्य, गुरुवाणी पाठ में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हमारा जन्म और मृत्यु रहित शरीर, जो जीव जंगल में फंसा हुआ है वह जीव जब अहंकार और अंधकार रूपी हदों को पार करता है तो अपने उजियारे में प्रवेश करता है। इस कृत्रिम उजाले को छोड़कर हमारे उजाले की ओर जाने के लिए। वह शब्द, वह उजाला कौन सा है जो क्षेत्रीय उजाले से रहित है, जो क्षेत्रीय है। जो व्यापक वही हमारा स्वरूप है। जो क्षेत्रीय उजाले से दूर हैं, लेकिन अभी हम बाहर के उजाले में ही भटक रहे हैं।
उन्होंने कहा, कि यह जो खुशहाली है, दीपावली है आज है कल नहीं। बाहर का उजाला सीमा कायम करता है, लेकिन जो अंदर का उजाला है वह स्वयं से जोड़ रहा है, जागृत कर रहा है आपको स्वयं से जुड़ने के लिए। इस उजाले से उस व्यापक उजाले की ओर मार्ग प्रशस्त कर रहा है। जो हमारा निज स्वरूप का दिया है। उस दिए तक पहुंचने की शुरुआत शब्दावली से होती है। शब्द, निःशब्द और सुशब्द। अच्छे शब्द और अच्छी वाणी-विचारों का प्रयोग कर हम एक-दूसरे से दया, प्रेम और विश्वास कायम करें। भरोसे, विश्वास की यही सच्ची दीपावली और खुशी होगी। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।
Leave a Reply