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प्रकृति की गोद में विराजित है बगोई माता

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– क्षेत्र के गोपालक, कृषक सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं दर्शन के लिए
– मान्यता: पूजन-अर्चन से पशुओं को नहीं होती है कोई बीमारी
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। नवरात्र में मातारानी के मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। भक्त दूर-दूर से मनोकामना लिए आ रहे हैं। बेहरी से करीब दो किमी दूर वन्य क्षेत्र में बगोई माता का स्थान है। यह चैतन्य स्थान श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बिंदू है। यहां विशेषकर पशुपालक एवं किसान दर्शन के लिए आ रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि बगोई माता के दर्शन से पशुपालकों की मन्नत पूरी होती है और उनके पशुओं को भी किसी प्रकार की बीमारी नहीं लगती।
उल्लेखनीय है कि प्रकृति की गोद में बगोई मां का यह स्थान प्राचीन है। रियासतकाल में पटेल परिवार ने वन्य क्षेत्र में स्थापना की थी। हालांकि यहां जो मूर्तियां हैं, वे काफी प्राचीन बताई जाती है। यूं तो सालभर किसान एवं पशुपालक यहां दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन नवरात्र में भक्तों की संख्या बढ़ जाती है। खेती का कार्य शुरू करने से पहले किसान यहां आकर पूजन-अर्चन करते हैं। दुधारू पशुओं को भी कोई बीमारी ना हो, इसके लिए भी पशुपालक प्रार्थना करते हैं। पशुपालकों का कहना है कि इस बार लंपी वायरस का अटैक हो रहा है, लेकिन बगोई मां की कृपा से स्थानीय पशु पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हैं। बगोई मां के आशीर्वाद से फसल भी लहलहा रही है। क्षेत्र के वरिष्ठ पटेल भागीरथ ने बताया कि चार पीढ़ी से हमारे परिवार के लोग यहां पूजा करते आ रहे हैं। सच्चे मन से जो भी कामना की जाती है, वह बगोई मां अवश्य पूरी करती है। वर्ष में दो बार नवरात्र में यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है। पटेल ने बताया कि नवमी पर हवन-यज्ञ के साथ पूर्णाहुति की जाएगी। ग्रामीणों ने बताया कि पशुओं को कोई बीमारी होने पर यहां से मान-मन्नत करने पर बीमारी दूर हो जाती है।

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