- देवास में रविवार को रैन बसेरों में लगा रहता है ताला
- कांग्रेस ने उठाई आवाज, कहा पूर्णकालिक कर्मचारी रखकर सातों दिन चालू रखें रैन बसेरे
देवास। रैन बसेरे में गरीबों व राहगिरों को विश्राम के लिए सुविधा मिलती है। हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश प्रदेश के इंदौर सहित 16 शहरों में मॉडल रैन बसेरे बनाने की घोषणा की है। इधर देवास में जो रैन बसेरे नगर निगम संचालित कर रही है, उनमें रविवार को ताले लगे रहते हैं। यह महत्वपूर्ण सुविधा रविवार को बंद रहती है। इसे लेकर कांग्रेस ने आवाज उठाई है और नियमित रूप से रैन बसेरे का संचालन करने की मांग नगर निगम प्रशासन से की है।
शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी व कार्यकारी अध्यक्ष प्रवक्ता सुधीर शर्मा ने बताया कि बाहर से आने वाले लोग या ग्रामीण विभिन्न कार्यों से शहरों में पहुंचते हैं, उनके रात्रि विश्राम के लिए श्रम विभाग के माध्यम से रैन बसेरों का निर्माण किया जाना है। नगर निगम के माध्यम से प्रदेश के प्रमुख नगरों में दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत 121 आश्रय स्थल वर्तमान में संचालित है। यहां शहरी बेघर लोग भी शरण लेते हैं। नगरीय निकायों द्वारा इन स्थानों का प्रबंध किया जाता है।
16 ननि में देवास भी शामिल है-
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के 16 निगम निगम क्षेत्र में फिर से मॉडल रैन बसेरों का निर्माण किया जाए। इसके लिए शासन ने श्रम विभाग को प्रति मॉडल रैन बसेरा 6.10 करोड़ रुपए के हिसाब से 100 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की है। यह विश्रामगृह मॉडल रैन बसेरे के रूप में जाने जाएंगे। प्रत्येक मॉडल रैन बसेरा 100 बिस्तर की क्षमता का होगा। देवास, इंदौर, भोपाल, उज्जैन, बुरहानपुर, खंडवा, रतलाम, सागर, रीवा सहित 16 नगर निगम क्षेत्र में इन्हें बनाया जाएगा।
यहां पर छुट्टी क्यों-
श्री राजानी व श्री शर्मा ने कहा कि एक ओर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर आश्रय स्थल के रूप में विश्रामगृह बना रही है तो दूसरी ओर जब हमने देवास नगर निगम द्वारा संचालित रैन बसेरों की स्थिति को जानना चाहा तो देखा कि भोलेनाथ रोड स्थित रैन बसेरा एवं उज्जैन रोड स्थित बस स्टैंड के समीप बना रैन बसेरा रविवार की छुट्टी होने से बंद था। आसपास के लोगों ने बताया कि छुट्टी के दिन रैन बसेरा नहीं खुलता है। जो व्यवस्था रोजाना के लिए लागू की गई है, 24 घंटे के लिए लागू की गई है वह रविवार को बंद होना समझ से परे है। यहां पर छुट्टी नहीं होना चाहिए। पूर्णकालिक कर्मचारी होना चाहिए, जो हमेशा रैन बसेरे की व्यवस्था संभाले और इन्हें चालू रखें।
कांग्रेस ने कहा कि जब शासन के द्वारा बाहर से आने वाले गरीबों, श्रमिकों के लिए यह रैन बसेरे बनाए गए हैं तो फिर यहां पर छुट्टी रखने का कोई नियम नहीं होना चाहिए। रोजाना रैन बसेरों का संचालन हो, जिससे लोग इसका लाभ उठा सके।
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