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शख्सियत: प्रवेश अग्रवाल, जो दुखी लोगों की तकलीफ को दिल से करते हैं महसूस

 

  • समर्थक कहते हैं सेवा कार्यों में चौबीस कैरेट गोल्ड अर्थात सौ फिसदी खरा सोना
  • जानलेवा हमले हुए फिर भी जुटे हैं समाजसेवा के कार्यों में

देवास। सामाजिक-राजनीतिक जीवन तमाम तरह की चुनौतियों से परिपूर्ण होता है। इसमें समय-समय पर चुनौतियाें का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों का डटकर सामना करते हुए जो पहले से और अधिक मजबूती से सेवा के कामों में जुट जाते हैं, असल में ऐसे व्यक्ति विरले ही होते हैं। आज हम एक ऐसी शख्सियत से आपको रूबरू करवा रहे हैं, जिसके जीवन का ध्येय सिर्फ और सिर्फ समाज सेवा ही है।

हम चर्चा कर रहे हैं नर्मदे युवा सेना के अध्यक्ष प्रवेश अग्रवाल की। ये एक ऐसी शख्सियत हैं, जिसने कुछ ही वर्षों में देवासवासियों के दिलों में परिवार के सदस्य के समान जगह बना ली। उनके सेवा कार्यों की मिसाल के किस्से न केवल शहर की जनता बल्कि विरोधी दलों के जनप्रतिनिधि भी कहते हैं। शहर की जनता तो प्यार से उन्हें चौबीसकैरेट गोल्ड कहती है अर्थात अपने सेवा कार्यों में सौ फिसदी खरा सोना।

देवासवासी इस पहलु से अब तक अनजान है कि सेवा के कार्यों में प्रवेश अग्रवाल को किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। उन पर जानलेवा हमले भी हुए, लेकिन वे पीछे नहीं हटे और डटकर सेवा कार्यों में आगे बढ़ते रहे। दरअसल, वर्ष 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नर्मदे युवा सेना का गठन किया और गठन के साथ ही कहा कि यह सेना नर्मदा नदी के संरक्षण व रेत के अवैध उत्खनन को रोकने के लिए तत्पर रहेगी। कमलनाथ ने प्रवेश अग्रवाल के सेवा कार्यों को देखते हुए उन्हें इस सेना के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी। अध्यक्ष पद का दायित्व मिलते ही प्रवेश ने मां नर्मदा के संरक्षण के लिए कार्य शुरू किए। उनका फोकस रेत के अवैध उत्खनन पर विशेष तौर पर रहा। देवास, सीहोर, होशंगाबाद सहित कई जिलों में उन्होंने रेत के अवैध रूप से हो रहे उत्खनन पर रोक लगवाई। प्रवेश की इस सेना ने जल्द ही अधिकांश स्थानों पर रेत का अवैध उत्खनन पूरी तरह से रुकवा दिया। रेत माफियाओं में एक प्रकार से खौफ का माहौल पैदा हो गया। इस बीच प्रवेश पर जानलेवा हमले भी हुए, हालांकि यह पुष्टि नहीं हो सकी कि जानलेवा हमले करने वाले कौन थे। फिर भी सेना के कार्यकर्ता यह मानते हैं कि इसमें रेत माफियाओं का हाथ हो सकता है।

रांग साइड से आकर भारी वाहन ने मारी टक्कर-

अवैध रूप से रेत के उत्खनन को रोकने के लिए प्रवेश और उनकी टीम का लगातार नर्मदा क्षेत्रों में आनाजाना लगा रहता था। इस दौरान इंदौर-भोपाल हाइवे पर सीहोर के समीप रात्रि में एक अज्ञात भारी वाहन ने रांग साइड से आकर उनकी कार को टक्कर मार दी। इसमें वे गंभीर रूप से घायल हुए। जानलेवा हमले का दूसरा प्रयास इंदौर में हुआ, जब वे अपने घर के समीप ही फोन पर बात करते हुए टहल रहे थे। उस समय तेज गति से आते हुए एक बाइकसवार ने उन्हें टक्कर मार दी और फरार हो गया। इन दो दुर्घटनाओं ने प्रवेश को अंदर से काफी स्ट्रांग बनाया। हालांकि परिवार के सदस्य और मित्र इससे काफी डरे हुए थे। इन घटनाओं के बावजूद उनका रेत माफियाओं के विरूद्ध अभियान जारी है।

डूब प्रभावितों के विस्थापन के लिए भी आंदोलन-

सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावितों के लिए विस्थापन के लिए भी प्रवेश और उनकी टीम ने आंदोलन किए। उन्होंने भोपाल में मशाल यात्रा भी निकाली। इसका परिणाम हुआ कि डूब प्रभावितों के विस्थापन में तेजी आई और उन्हें उनका हक मिला। प्रवेश के समर्थक कहते हैं कि भैया किसी की तकलीफों को हृदय से महसूस करते हैं और यही कारण है कि उनके सेवा कार्यों की लिस्ट बहुत लंबी है।

नर्मदा के घाटों पर भी हुए कार्य-

मां नर्मदा के संरक्षण की दिशा में प्रवेश और उनकी टीम के कार्य कुछ शहरों तक ही सीमित नहीं है। टीम ने मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से लेकर महेश्वर, मंडलेश्वर, आेंकारेश्वर सहित कई स्थानों पर घाटों की सफाई की। प्रवेश कहते हैं कि नर्मदा हमारे प्रदेश की जीवन रेखा है और इसके संरक्षण के लिए हमें मिलकर प्रयास करना होगा। सबसे जरूरी है कि नर्मदा में हो रहे अवैध उत्खनन पर रोक लगे और इसके लिए हमारी टीम कार्य कर रही है। इसमें आमजन की भागीदारी भी होगी तो प्रयास तेजी से सफल होंगे।

शंकरगढ़ की पहाड़ी को दिलाएंगे पहचान-

मां नर्मदे युवा सेना की टीम प्रवेश अग्रवाल के नेतृत्व में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी कार्य कर रही हैै। अब तक लाखों की संख्या में टीम ने पौधारोपण किया है।पौधारोपण के बाद टीम के सदस्य इनकी देखभाल भी कर रहे हैं। पिछले दिनों शंकरगढ़ की पहाड़ी पर भी प्रवेश अग्रवाल अपनी टीम के साथ पहुंचे थे और इस पहाड़ी को अपनी अलग पहचान दिलाने का उन्होंने संकल्प भी लिया है।

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