शिक्षा

मां से बड़ा कोई देव नहीं: श्रीमती पाटिल

– सतपुड़ा के अयोध्या धाम में हुआ मातृ सम्मेलन, सैकड़ों महिलाएं हुईं शामिल
– बच्चों ने भी दी रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति

देवास। मक्सी रोड पर तुलजा विहार कॉलोनी में स्थित सतपुड़ा के अयोध्या धाम में मातृ सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम स्थल परिसर को भगवा पताका, तोरण द्वार के साथ आकर्षक रंगोली से सजाया गया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि शिक्षाविद् ललिता पाटिल थीं। विशेष अतिथि डॉ. उर्वशी सिंह कुमावत थीं तथा अध्यक्षता वैभव विहार शिक्षा समिति अध्यक्ष रायसिंह सेंधव ने की। अतिथियों ने मां सरस्वती, भारत माता के पूजन अर्चन के साथ दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

अतिथियों का स्वागत संस्था संचालक भानूप्रतापसिंह सेंधव, प्राचार्य अमित तिवारी, रचना सेंधव ने पुष्पगुच्छ, श्रीफल, स्मृति चिन्ह देकर किया।
इस अवसर पर नन्हे मुन्ने बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रंगारंग प्रस्तुति दी। छोटे-छोटे बच्चों ने कर दो केसरी के लाल… जैसे गीतों पर नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। कक्षा नर्सरी के बच्चों ने मेरी मां, प्यारी मां… गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया। वहीं बच्चों ने हिंदी-अंग्रेजी में कविताएं, गीत, भाषण की प्रस्तुतियां देकर उपस्थित माताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

यूकेजी के बच्चे भारत माता, रानी लक्ष्मीबाई, राम-लक्ष्मण, सीता, हनुमान आदि के रूप में सज-धजकर आए, जो आकर्षण का केंद्र थे। मुख्य अतिथि श्रीमती पाटिल ने उद्बोधन देते हुए कहा, कि मां से बड़ा कोई देव नहीं है, क्योंकि एक माता की परिवार व समाज में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मां ही समाज की रीढ़ होती है। वीर शिवाजी की माता जीजाबाई हो या श्रीराम की माता कौशल्या, इनका नाम इसीलिए सम्मान से लिया जाता है, क्योंकि इन्होंने माता होने का कर्तव्य तो निभाया ही, बल्कि ऐसे पुत्रों को जन्म दिया, जो आज पूजे जाते हैं। इसीलिए माता अपने बच्चों को ऐसी शिक्षा दें, जिससे वे शिवाजी, श्रीराम, श्रीकृष्ण, रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई जैसे संस्कार पाकर समाज निर्माण में भूमिका निभाएं।


डॉ. कुमावत ने कहा, कि माता-पिता ही अपने बच्चों की प्रतिभाओं को पहचान सकते हैं। संस्कार एवं अनुशासन की शिक्षा बच्चों को घर से ही मिलती है। प्रथम पाठशाला घर होता है, जहां प्रथम गुरु के रूप में माता-पिता बच्चों को मिलते हैं। यही माता-पिता अपने बच्चों की परवरिश कर उन्हें तैयार करते हैं। यही बच्चे श्रेष्ठ शिक्षा ग्रहण कर एक दिन उच्च पदों पर पहुंचकर अपने परिवार, समाज के निर्माण के साथ-साथ राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


इस दौरान बच्चों की माताओं के लिए विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिसमें सलाद, ड्राइंग एंड क्राफ्ट, मेहंदी, भजन, गीत, दौड़ आदि शामिल हैं। इनमें माता-बहनों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। प्रतियोगिताओं में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त करने वाली माता-बहनों को संस्था द्वारा पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में माता-बहनें शामिल हुईं। कार्यक्रम का संचालन नीलम जलोदिया ने किया तथा आभार सोमाली घोष ने माना। उक्त जानकारी मीडिया प्रभारी दिनेश सांखला ने दी।

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