– क्षय मित्र पोषण आहार कार्यक्रम आयोजित
बागली (हीरालाल गोस्वामी)। क्षय मित्र पोषण आहार कार्यक्रम का आयोजन डॉ. जेसी यादव के मुख्य आतिथ्य में, जिला क्षयरोग अधिकारी शिवेन्द्र मिश्रा की अध्यक्षता में किया गया। विशेष अतिथि डॉ. जैन, डॉ. जान जोसेफ, डॉ. कुलदीप उदावत रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण बीईई राधेश्याम ने देते हुए कहा, कि क्षय किट दान दाताओं द्वारा उपलब्ध कराया गया है, जिसमें आटा, दाल, तेल, गुड, सिंगदाना एक-एक किलो है। बागली सीबीएमओ डॉ. विष्णुलता उईके ने कहा, कि क्षयरोग एक गंभीर संक्रामक और बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है, जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है और जानलेवा हो सकती है। टीबी पैदा करने वाला बैक्टीरिया किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलता है। टीबी के मरीजों के लिए केला, अनाज, दलिया, मूंगफली की चिक्की , गेहूं और रागी जैसे खाद्य पदार्थ काफी फायदेमंद होते हैं, इसलिए कोशिश करें कि पीड़ित व्यक्ति को ऐसा खाना दें जिससे उसके शरीर में भरपूर कैलोरी पहुंचे। यह उसके शरीर के लिए ताकत का स्त्रोत बन सकेगी।
डॉ. हेमंत पटेल ने बताया, कि एक टीबी रोगी के रूप में आपको कैफीन, रिफाइंड चीनी, आटा, सोडियम और बोतलबंद सॉस से बचना चाहिए। बीमारी के उपचार और इलाज के चरण में शराब और तंबाकू नहीं खाये।
डॉ. ऋतु उदावत ने बताया, कि टीबी यानि क्षय रोग के समूल नाश के लिए अधिक से अधिक मरीजों को चिह्नित कर उपचार करने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि टीबी के बैक्टीरिया को परिवार या समुदाय में फैलने से रोका जाए। टीबी के लक्षण दो सप्ताह से अधिक खांसी, कमजोरी, भूख न लगना, वजन गिरना आदि है। बलगम की जांच या फैंफड़े के एक्स-रे से टीबी के बारे में पता चलती है।
डॉ. कुलदीप उदावत ने कहा, कि क्षय यानी टीबी के रोगी का जब बीच में इलाज छूट जाता है, तो वह एक दिन एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंस) की स्थिति में पहुंच जाता है। यह टीबी की अगली स्टेज है। ऐसे रोगियों को शुरुआत में ज्यादा तकलीफ नहीं होती, लेकिन जब बीमारी लास्ट स्टेज में पहुंचती है तो वे अति गंभीर कुपोषित हो जाते हैं। उनके शरीर में ताकत नहीं रहती।
ऐसे लोगों को ब्रोकली, गाजर, टमाटर, शकरकंद जैसी सब्जियां खूब खानी चाहिए। इन सब्जियों में एंटीऑक्सिडेंट्स भरपूर होते हैं। टीबी के संक्रमित व्यक्ति को फलों में अमरूद, सेब, संतरा, नींबू, आंवला, आम जैसे फल खाने चाहिए। इन फलों में विटामिन ए, ई और विटामिन सी काफी होता है।
डॉ. जेसी यादव ने कहा टीबी की पहचान होने के तुरंत बाद चिकित्सक इलाज के रूप में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करते हैं। यह कोर्स कम से कम 6 महीने और अधिकतम 9 महीने में पूरा हो जाता है। इस अवधि में ट्यूबरक्यूलोसिस का बैक्टीरिया मर जाता है और मरीज पूरी तरह ठीक हो जाता है।
डॉ. शिवेन्द्र मिश्रा ने बताया कि यक्ष्मा, तपेदिक, क्षयरोग, एमटीबी या टीबी कई मामलों में घातक संक्रामक बीमारी है। आमतौर पर माइकोबैक्टीरियम तपेदिक के विभिन्न प्रकारों की वजह से होती है। क्षय रोग आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता है। डॉ. मिश्रा ने बताया, कि क्षयरोग उन्मूलन के तहत राष्ट्रीय स्तर पर 24 मार्च को देवास जिले को गोल्ड मेडल मिला है।
इस अवसर पर सतीश शर्मा, राकेश भारद्वाज, सचिन खेरदे, राजकुमार भगोले, अजय नागर, कपिल वर्मा, इब्राहिम शेख, अभिषेक सोनी ने अतिथियों का स्वागत पुष्पमाला से किया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए सुपर वाइजर नंदकिशोर मोहवाल ने बताया कि आज 20 क्षय किट का वितरण जन सहयोग से किया गया। आभार डॉ. राजेश गुर्जर ने मानते हुए बताया, कि जनवरी 2022 से दिसम्बर 2022 तक ब्लॉक में कुल मरीज 352 थे। अभी उपचार रत मरीज है 169 है।
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