– श्री राधाकृष्ण मंदिर में हर्षोलाष के साथ भक्तों ने भरा नानी बाई का मायरा
देवास। सांवरिया के अनन्य भक्त नरसिंह मेहता के साथ ही उनकी लाडली बेटी नानीबाई भी सांवरिया की भक्ति में लीन रहती थी। नानीबाई सांवरिया को अपना भाई मानती थी। जब नानीबाई की बेटी का विवाह आया तो नानीबाई के सास-ससुर ने नरसिंह मेहता को कुंकु पत्री के साथ ही मामेरा लाने के लिए लंबी-चौड़ी चिट्ठी भेज दी। यह बात जब नानीबाई को पता चली तो नानीबाई का मन अधीर हो गया, क्योंकि वह जानती थी, कि बाबूल नरसिंह मेहता के पास कुछ भी नहीं है। भात भरने का समय नजदीक आ गया था। नानीबाई के पास अब और कोई चारा नहीं था। सांवरिया सेठ के सामने उनके चरणों में अरज करने लगी, कि सांवरिया सेठ अब मेरी लाज तुमको ही बचाना है। तब प्रभु ने स्वयं मामेरा भरकर उनकी लाज बचाई।
यह विचार अंतिमबाला बैरागी ने श्री राधाकृष्ण मंदिर चाणक्यपुरी में नानीबाई मायरे के समापन अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा
प्रभु को अगर सच्चे मन से याद किया जाए तो सहायता अवश्य करते हैं। बस भरोसा अटूट होना चाहिए।
नानीबाई के मायरे में भक्तों ने हर्षोल्लास से शामिल होकर ढोल-नगाड़ों के साथ मायरा भरा। महिलाओं ने मंगल गीत गाए। बाबूलाल चौधरी नरसिंह मेहता के रूप में, नानीबाई के रूप में चंदा शर्मा, झलक शर्मा व निकिता रुक्मिणी के मनमोहक रूप में मायरा भरने आए।
सांवरिया भर दे मेरो भात, तेरे ही हाथों में अब तो नानीबाई की लाज… भक्ति गीत की सुमधुर संगीतमय प्रस्तुति पर भक्त भावविभोर होकर खूब झूमे।चाणक्यपुरी, उपाध्याय नगर सहित आसपास की कॉलोनी के धर्मप्रेमियों ने नानीबाई के मायरे में शामिल होकर धर्म लाभ लिया। यह जानकारी आयोजक मंडल की चंदा शर्मा ने दी।
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