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नागपुर. मनपा चुनाव को लेकर भले ही अनिश्चितता बनी हुई हो लेकिन मनपा चुनाव में प्रभाग की रचना के दौरान एनआईटी का क्षेत्र में इसमें शामिल किए जाने पर आपत्ति जताते हुए मृणाल चक्रवर्ती की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. इस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदुरकर और न्यायाधीश एम.डब्ल्यू. चांदवानी ने याचिकाकर्ता को इस मसले पर अधिक रिसर्च करने की सलाह देते हुए 2 सप्ताह के लिए सुनवाई स्थगित कर दी.
याचिकाकर्ता की ओर से स्वयं चक्रवर्ती तथा मनपा की ओर से अधि. जैमीनी कासट ने पैरवी की. याचिकाकर्ता का मानना था कि सिटी में विकास की 2 एजेंसियां हैं. जिनका अपना दायरा निश्चित है. यदि दायरा निश्चित है तो मनपा चुनाव के दौरान केवल मनपा के दायरे में आनेवाली बस्तियों को ही प्रभाग में शामिल किया जाना चाहिए.
प्रन्यास क्षेत्र में नहीं कर सकते विकास
याचिकाकर्ता का मानना था कि मनपा की ओर से अपने क्षेत्र तथा प्रन्यास की ओर से अपने क्षेत्र में विकास कार्य किए जाते है. यहां तक कि प्रन्यास के क्षेत्र में मनपा की स्थानीय विकास निधि से विकास कार्य करना संभव नहीं है. यदि मनपा इन क्षेत्रों में विकास नहीं कर सकती है तो केवल वोट के लिए इन क्षेत्र के लोगों को प्रभाग में शामिल नहीं किया जाना चाहिए. प्रन्यास के गठन के दौरान ही विकास कार्यों के लिए प्रन्यास का अधिकार क्षेत्र चिन्हांकित किया गया है जिससे दोनों एजेंसियों का क्षेत्र अलग-अलग निर्धारित है.
नोटिफिकेशन खंगालने में जुटी मनपा
याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की ओर से कोई नोटिस तो जारी नहीं किया गया, किंतु याचिकाकर्ता को इस मामले में मदद करने का अनुरोध मनपा के वकील से किया गया. यहां तक कि याचिका को खारिज नहीं किए जाने से अब मनपा को हाई कोर्ट के समक्ष उचित जानकारी प्रस्तुत करना है जिससे मनपा का दायरा निश्चित करते हुए क्षेत्र को चिन्हांकित कर जारी किए गए नोटिफिकेशन को खंगालने में मनपा जुट गई है. मनपा का मानना है कि प्रन्यास केवल प्लानिंग अथॉरिटी है जबकि मनपा सिविक एजेंसी है जिसके माध्यम से लोगों को मूलभूत सुविधाएं दी जाती है. मनपा का दायरा भी अब सुनिश्चित है. केवल कुछ ही हिस्सा प्रन्यास के पास प्लानिंग अथॉरिटी के रूप में योजनाओं के लिए है.
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