Digital India | डिजिटल इंडिया में मनपा की कछुआ चाल, प्रमाणपत्र के लिए लग रहा 1 माह का समय

Posted by

[ad_1]

NMC

नागपुर. मनपा की ओर से डिजिटल इंडिया के नाम पर भले ही कई तरह की ऑनलाइन सेवाएं मुहैया कराने का दावा किया जा रहा हो लेकिन कुछ सेवाएं वास्तविकता से परे होने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केवल जमाबंदी का प्रमाणपत्र पाने के लिए लोगों को एक माह तक का इंतजार करना पड़ रहा है. उल्लेखनीय है कि मनपा ने टैक्स विभाग, जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र, पानी बिल, शिकायत निवारण, घरों के नक्शे जैसी कई तरह की सेवाओं को ऑनलाइन किया है. यहां तक कि अब टैक्स भरने की सुविधा भी ऑनलाइन की गई है किंतु पुराना रिकॉर्ड प्राप्त करने के लिए मनपा ने कोई डिजिटल नीति नहीं अपनाई है. यही कारण है कि एक-एक माह तक का समय लग रहा है.

पुराने रिकॉर्ड का अटका है डिजिटाइजेशन

सूत्रों के अनुसार मनपा ने जनसेवाओं के लिए नया सॉफ्टवेयर डेवलप कर सेवाएं तो लागू कर दीं किंतु पुराना रिकॉर्ड अब तक पूरी तरह से डिजिटल नहीं किया जा सका है. यही कारण है कि पुराने रिकॉर्ड से संबंधित कोई भी सेवा प्राप्त करने के लिए आवेदन होने पर उसे सीधे एक माह का समय देकर बुलाया जाता है. उल्लेखनीय है कि डोमिसाइल सर्टिफिकेट बनाने के लिए सरकार के नियमों के अनुसार सिटी में 1967 के पहले का निवासी होना अनिवार्य है. इसके लिए सम्पत्ति के दस्तावेज मुख्य प्रमाण समझे जा रहे हैं. सम्पत्ति के दस्तावेज आधिकारिक रूप से जमाबंदी के रूप में मनपा के पास उपलब्ध हैं जिन्हें मांग के अनुसार उपलब्ध तो कराया जाता है किंतु अभी भी पुरानी परंपरा के अनुसार फाइलों में सिमटे होने के कारण इन्हें खंगालने में समय लग रहा है. 

दस्तावेज की ‘नकल’ भर है प्रमाणपत्र

जमाबंदी प्रमाणपत्र केवल सम्पत्ति का रिकॉर्ड है जिसकी कॉपी (नकल) उतारकर उपलब्ध कराई जाती है. वर्तमान में बोर्ड की परीक्षाएं हैं. जल्द ही परिणाम घोषित होने के बाद उच्च शिक्षा के प्रवेश की प्रक्रिया शुरू होगी. प्रक्रिया शुरू होने के बाद प्रमाणपत्रों के लिए भारी भीड़ होती है. यही कारण है कि कुछ पालक अभी से प्रमाणपत्र तैयार करने में भी जुटे हुए है. इसी तरह स्थानिय निवासी सुनील ने भी 100 रुपए के स्टैंप पेपर पर संबंधित दस्तावेज जोड़कर 20 रुपए का आवेदन किया था. स्थावर विभाग के कोषागार में जमा करने के बाद उसे रसीद भी दी गई. किंतु एक माह बाद प्रमाणपत्र मिलने के कारण इस आधार पर तैयार होने वाले प्रमाणपत्रों में भी देरी होने की आशंका है. उन्होंने कहा कि सरकार डिजिटल इंडिया के प्रचार और प्रसार में करोड़ों रुपए विज्ञापन पर फूंक रही है, जबकि जमीनी हकीकत कोसो दूर हैं.



[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *