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अंबरनाथ : अंबरनाथ (Ambernath) स्थित प्राचीन कालीन शिव मंदिर (Shiv Temple) परिसर का विकास का कार्य तेजी से शुरू हो, इसलिए भू-अभिलेख विभाग (Land Records Department) ने परियोजना क्षेत्र यानी सर्वे (Survey) संख्या 166 पर जमीन के सर्वेक्षण का कार्य प्रारंभ कर दिया है। गुरुवार से ऊक्त कार्य शुरू किया गया है, पहले दिन नगर पालिका के मुख्याधिकारी, तहसीलदार और पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में सर्वे का काम शुरू किया गया। हालांकि अपर्याप्त स्टॉफ और भू-अभिलेख विभाग की असहयोगात्मक भूमिका के कारण अन्य प्रशासनिक विभाग को पहले ही दिन निराशा हाथ लगी।
सांसद डॉ. श्रीकांत शिंदे के प्रयासों के चलते प्राचीन शिव मंदिर परिसर के कायाकल्प के लिए शिव मंदिर विकास परियोजना स्वीकृत की गई है और इसके लिए राज्य सरकार ने 138 करोड़ रुपए की धनराशि भी स्वीकृत की है। हालांकि कुछ भूमि जिस पर शिव मंदिर परियोजना को लागू किया जाना है। उसमें से कुछ जमीन फार्मिंग सोसायटी के अधीन है। इस महकमे ने भू-अभिलेख विभाग के साथ पत्राचार करते हुए अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। तदनुसार परियोजना क्षेत्र में भूमि के सर्वेक्षण के संबंध में नगर पालिका ने भू-अभिलेख विभाग के साथ पत्राचार किया। इसके मुताबिक संबंधित जमीन का सर्वे पूरा कर प्रोजेक्ट का काम प्रत्यक्ष रूप से शुरू किया जा सके।
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भू-अभिलेख विभाग के वरिष्ठ अधिकारी नहीं रहे मौजूद
अंबरनाथ नगर पालिका मुख्याधिकारी डॉ. प्रशांत रसाल, तहसीलदार प्रशांति माने ने पुलिस टीम के साथ मंदिर क्षेत्र के आसपास की जमीन का सर्वे शुरू किया। मंदिर परिसर में सुबह साढ़े नौ बजे मुख्याधिकारी, तहसीलदार सहित अन्य सरकारी अधिकारी मौजूद थे, लेकिन भू-अभिलेख विभाग के कर्मचारी दो घंटे की देरी से साढ़े ग्यारह बजे सर्वे के लिए पहुंचे। भू-अभिलेख विभाग के कर्मचारियों की लेट लतीफी के कारण मुख्याधिकारी, तहसीलदार के साथ-साथ पुलिस को भी दो घंटे तक इंतजार करना पड़ा। साथ ही इस सर्वे के दौरान भू-अभिलेख विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को भी मौजूद रहना चाहिए था लेकिन बड़ा अधिकारी आया नहीं और ऊक्त कार्य के लिए केवल दो कर्मचारी ही इस सर्वे के लिए भेजे। इसलिए इस सर्वे का काम अगले कुछ दिनों तक धीमी गति से चलने और भू-अभिलेख विभाग के असहयोग की भूमिका की आशंका के चलते नगर पालिका के अधिकारियों ने नाराजगी जताई है।
प्रकल्प के लिए सभी अनुमतियां मिल चुकी है और आवश्यक निधी उपलब्ध होने के बावजूद, सर्वेक्षण के कार्य में भू-अभिलेख विभाग की उदासीन भूमिका से निविदा प्रक्रिया और परियोजना के अन्य कार्यों में देरी होने की संभावना है। इसलिए सर्वे का कार्य समय से पूरा करने के लिए नगर पालिका भू-अभिलेख विभाग की अनुमति के बाद निजी सर्वेक्षक संस्था द्वारा परियोजना क्षेत्र का सर्वे स्वयं के खर्चे से पूरा करने का प्रयास करेगी।
– डॉ. प्रशांत रसाल, मुख्याधिकारी, अंबरनाथ नगर पालिका।
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