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नागपुर. छात्रों से वसूली जाने वाले परीक्षा शुल्क के वितरण का मामला शनिवार को विवि की सीनेट में जमकर गूंजा. कोरोना काल में कॉलेज स्तर पर परीक्षा ली गई. इसके लिए खर्च भी अधिक आया लेकिन छात्रों से वसूले जाने वाला शुल्क में से २५ फीसदी रकम विवि के पास जमा होती है. इस पर आपत्ति दर्ज करते हुए सदस्यों ने कहा कि संपूर्ण शुल्क कॉलेजों को ही मिलना चाहिए. कई सदस्यों ने आक्रामकता दिखाते हुए प्रशासन को घेरने का प्रयास किया.
इस पर उपकुलपति प्रा.सुभाष चौधरी ने एक समिति गठित कर समस्या का समाधान निकालने का आश्वासन दिया. सीनेट की बैठक में प्रश्नोत्तर के दौरान सदस्य स्मिता वंजारी ने संलग्नित महाविद्यालयों में पहले व तीसरे सेमेस्टर परीक्षा के शुल्क के बारे में जवाब मांगा. उनका कहना था कि पिछली परीक्षाएं महाविद्यालय स्तर पर परीक्षा ली गई.
इन परीक्षाओं का जो शुल्क वसूला गया उसमें से 25 फीसदी रकम विवि के पास जमा होती है लेकिन जब प्रत्यक्ष रूप से महाविद्यालय स्तर पर परीक्षा ली गई शिक्षकों का मानधन, बिजली बिल, पानी, स्टेशनरी, झेरॉक्स प्रश्नपत्रिका व उत्तरपत्रिका छपाई, साइकिल स्टैन्ड सहित अन्य तरह के कार्यों के लिए महाविद्यालयों को खर्च करना पड़ा. इस हालत में छात्रों से परीक्षा शुल्क के रूप में ली गई पूरी रकम महाविद्यालयों को दी जानी चाहिए.
डॉ. बबनराव तायवाडे, राजेश भोयर ने भी वंजारी के प्रश्न का समर्थन किया. दोनों ने परीक्षा लेने में महाविद्यालय को आने वाले दिक्कतों के बारे में भी सभागृह को अवगत कराया. इसके अलावा भी अन्य सदस्यों ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए समर्थन किया.
सदस्यों की आक्रामकता को देखते हुए उपकुलपति सुभाष चौधरी ने मामले के निपटारे के लिए एक समिति गठित करने का आश्वासन दिया. इसमें प्रबंधन, प्राचार्य, महाविद्यालय, विद्यार्थी और विवि के सदस्यों का समावेश किया जाएगा. इस दौरान संजय चौधरी ने भी महाविद्यालय स्तर पर ली जाने वाली विषम सत्र की परीक्षा पर किस तरह नियंत्रण रखा जाएगा, यह सवाल किया. इस मामले को भी उक्त समिति को सौंपने का निर्णय उपकुलपति ने लिया.
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