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मां कैलादेवी मंदिर में 3 अप्रैल से बहेगी अध्यात्म की गंगा

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पत्रकार वार्ता में आयोजन समिति के सदस्यों ने दी जानकारी
देवास। जगत जननी शक्तिरूपा मां कैलादेवी की कृपा है, देवास के इस आध्यात्मिक केंद्र में देश के बड़े-बड़े संत एवं अध्यात्म पुरुषों का निरंतर पदार्पण होता रहा है। इसका लाभ परोक्ष और अपरोक्ष रूप से देवास की भगवतप्रेमी जनता को प्राप्त होता है। यह बात मां कैलादेवी मंदिर उत्सव समिति संयोजक रायसिंह सेंधव ने चैत्र नवरात्रि पर्व पर 3 अप्रैल से ख्यात अध्यात्म प्रवक्ता देवकीनंदन ठाकुर के द्वारा होने वाली श्रीमद्भागवत कथा के तारतम्य में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहीं। श्री सेंधव ने बताया कि मंदिर के संस्थापक मन्नुलाल गर्ग, दीपक गर्ग एवं परिवार की अपार आस्था है कि विगत 25 वर्षों से कैलादेवी मंदिर में अध्यात्म अनुष्ठान हो रहे हैं। चैत्र नवरात्रि पर 2 अप्रैल को घट स्थापना के साथ मां कैलादेवी की महापूजा एवं नौ दिवसीय अनुष्ठान प्रारंभ होगा। 3 अप्रैल से अंतरराष्ट्रीय भागवत प्रवक्ता विश्वशांति दूत देवकीनंदन ठाकुर द्वारा संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह प्रारंभ होगा। कथा का समय प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से रहेगा। इस कथा में प्रसंगों के अनुसार झांकियां प्रस्तुत की जाएंगी। इस दौरान भजन गायक बाबूलाल राजोरिया की भजन संध्या, कवि सम्मेलन एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। इसका समय रात्रि 8 बजे से रहेगा। कथा के पूर्व 3 अप्रैल को कलश शोभायात्रा मंदिर से कथा स्थल गोकुल गार्डन तक निकाली जाएगी। ग्रीष्मकाल को देखते हुए वातानुकूलित कथा पंडाल तैयार किया गया है, जो लगभग 60 हजार वर्ग फीट से अधिक है। इसमें महिला एवं पुरुषों के बैठने की पृथक-पृथक व्यवस्था रहेगी। शुद्ध पेयजल की व्यवस्था भी की गई है। 9 अप्रैल को कथा पूर्णाहुति के साथ देवी अनुष्ठान यज्ञ की पूर्णाहुति होगी। 10 अप्रैल को श्रीराम जन्मोत्सव मनाया जाएगा। पूर्णिमा को हनुमान जयंती पर भगवान हनुमान का प्राकट्य उत्सव महाआरती एवं प्रसादी वितरण कार्यक्रम के साथ मनाया जाएगा। कैलादेवी मंदिर उत्सव समिति की रेखा वर्मा, पूर्व महापौर जयसिंह ठाकुर, राजेश यादव, अजबसिंह ठाकुर, देवकृष्ण व्यास, चेतन उपाध्याय, राजेश खत्री, बृजमोहन अग्रवाल, ओपी दुबे, दिनेश सांखला, मोहन श्रीवास्तव, अनामिका गर्ग, मधु शर्मा, ममता शर्मा, वीणा महाजन, राजू चौधरी, अनिता दुबे, अनिता श्रीवास्तव सहित समिति के सदस्यों एवं कार्यकर्ताओं के सहयोग एवं दायित्वों से इतना बड़ा आयोजन संभव होता है।

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