देवास। शहर में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जिला प्रशासन के दिशा-निर्देशों के तहत नगर निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और खाद्य सुरक्षा विभाग की संयुक्त टीम ने बुधवार को शहर की विभिन्न बेकरियों का निरीक्षण किया। जिला पर्यावरण अधिकारी निकीता बर्डे के निर्देश में यह कार्रवाई की गई।
इस दौरान कई बेकरी संचालकों को बिना लाइसेंस के अपने व्यवसाय चलाने, लकड़ी आधारित ओवन का उपयोग करने और स्वच्छता मानकों का उल्लंघन करने के कारण दंडित किया गया। संयुक्त टीम ने कुल आठ प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई की।
शहर में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के उद्देश्य से प्रशासन ने लकड़ी से चलने वाले बॉयलरों और ओवन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है। इस बारे में पूर्व में सूचना दी जा चुकी थी, बावजूद इसके कई बेकरी संचालक नियमों का उल्लंघन करते हुए लकड़ी का उपयोग कर रहे थे, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा था।
संयुक्त दल ने इटावा स्थित श्रीकृष्णा नमकीन एंड एवरफ्रेश का निरीक्षण किया। किचन में गंदगी और व्यापार लाइसेंस न होने के कारण वहां 1,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया। इसके अलावा आनंद नगर स्थित जरीन बेकरी पर भी कार्रवाई की गई, जहां लकड़ी से ओवन संचालित होने की पुष्टि हुई। संचालक को 15-20 दिनों के भीतर इलेक्ट्रिक ओवन लगाने का निर्देश दिया गया और 1,000 रुपए का जुर्माना किया गया। इसी प्रकार, टोस्ट वाली गली की लक्की बेकरी में भी लकड़ी आधारित ओवन और अनरिन्यूड लाइसेंस पाया गया, जिसके चलते 2,000 रुपए का जुर्माना वसूला गया।
न्यू मदीना होटल, युनुस एग्ज सेंटर, नफीस बेकरी और आशीक होटल जैसे अन्य प्रतिष्ठानों पर भी चालानी कार्रवाई की गई। इन सभी प्रतिष्ठानों से मिलाकर 4,500 रुपए का चालान वसूल किया गया।
निगम स्वास्थ्य एवं खाद्य निरीक्षक हरेंद्र सिंह ठाकुर ने बेकरी संचालकों को चेतावनी दी कि वे स्वच्छता मानकों का पालन करें और लकड़ी आधारित ओवन का उपयोग बंद करें। उन्होंने सभी बेकरी संचालकों को कर्मचारियों के लिए ग्लव्ज़ और कैप पहनने की अनिवार्यता और इलेक्ट्रिक ओवन अपनाने का निर्देश दिया।
खाद्य सुरक्षा अधिकारी सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि हमारा मुख्य फोकस खाद्य सामग्री की गुणवत्ता पर भी है। उन्होंने व्यवसायियों से अपने प्रतिष्ठानों में विशेष ध्यान देने को कहा ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।
जिला पर्यावरण अधिकारी निकिता बर्डे ने बताया शहर को प्रदूषण मुक्त और पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप बनाने की दिशा में ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। आने वाले समय में केवल पर्यावरण-अनुकूल उपकरणों का उपयोग अनिवार्य किया जाएगा।
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