सांवली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया… भक्ति गीत की सुमधुर प्रस्तुति पर श्रद्धालु झूम उठे
देवास। परमात्मा की भक्ति में निष्काम भाव से लीन होने वाले भक्तों को कभी आंच तक नहीं आती है। परमात्मा बड़े दयालु हैं। इतने दयालु, कि हम जो भी मांगे वह सब सहज ही दे देते हैं।
यह विचार मेंढकीचक तालाब के पास शिव मंदिर परिसर में श्रीमद् भागवत कथा के दौरान व्यासपीठ से कथावाचक आचार्य पं. आशुतोष शास्त्री (शुक्ल) ने गुरुवार को व्यक्त किए। आगे कहा, कि कोई गुरु यदि भगवान के मंदिर में जाने से भक्तों को रोके तो ऐसे गुरु का त्याग कर देना चाहिए। दान वस्तु क्या है, वह महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन देने वाले का मन कितना बड़ा है यह तय करता है। धनपति तो संसार में बहुत है, लेकिन मन पति कोई-कोई होते हैं। सात लोक नीचे हैं और 7 लोक ऊपर हैं। ऐसे 14 लोकों की गणना की गई है।
उन्होंने कहा, कि पति चाहे कैसी भी अवस्था में, कैसे भी हो लेकिन पत्नी को उसका साथ अवश्य देना चाहिए। चाहे झोपड़ी में रहे, चाहे वह किराए के मकान में रहे। कभी भी, किसी प्रकार से भेदभाव नहीं करना चाहिए। यही एक सच्ची धर्मपत्नी का गुण व धर्म होता है। भगवान रामजी की कथा से हमें यह सीख मिलती है। भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव श्रद्धालुओं द्वारा आनंद के साथ मनाया गया। जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण बाल रूप में कथा पंडाल में लाए गए श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा व आतिशबाजी कर स्वागत किया।
इस दौरान पं. शास्त्री ने सांवली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया.. भक्ति गीत की सुमधुर प्रस्तुति दी तो श्रद्धालु झूम उठे। आयोजक महिला मंडल, अतिथियों द्वारा व्यासपीठ की पूजा-अर्चना व महाआरती की गई। सैकड़ों धर्मप्रेमियों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।
Leave a Reply