सत्य सहजता का दर्पण है, जो जैसा है वैसा ही व्यक्त कर देता है- सद्गुरु मंगल नाम साहेब
देवास। सत्य सहज और संसार की सब झंझटों से मुक्त है। सत्य नाम कहीं से उधार नहीं लाना पड़ता। ढूंढकर नहीं लाना पड़ता है, जो है वही व्यक्त हो जाता है। आप दुखी हो तो दुखी, आप सुखी हो तो सुखी नजर आते हो। आपका चेहरा खुद व्यक्त कर देता है कि आप दुखी हो या सुखी। सत्य को छुपाया नहीं जा सकता, झूठ का आवरण हटते ही सत्य प्रकट हो जाता है।
यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने सदगुरु कबीर सर्वहारा प्रार्थना स्थलीय सेवा समिति मंगल मार्ग टेकरी द्वारा आयोजित गुरुवाणी पाठ, गुरु-शिष्य चर्चा में व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि सत्य को कैसे छुपाओगे वह तो अपने आप व्यक्त हो जाता है। सत्य सहजता का दर्पण है। जो जैसा है वैसा ही व्यक्त हो जाता है। प्रकट हो जाता है। साहब ने कहा है कि तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति। कोई ऐसा नहीं है कि ओ तुम्हारा पति है, मेरा पति नहीं है। ओ तो सहज है, सत्य है और प्राण पुरुष सबके अंदर श्वास रूप में मौजूद है। ओ ही सबके प्राणों का पति है। कोई बनावटी नहीं है। सद्गुरु के वाणी विचारों, सद्गुरु की संगति से ही हम सत्य को उपलब्ध हो सकते हैं। सद्गुरु सबके घट में बैठकर सुर गुरु के रूप में संचालन करते हैं। सद्गुरु हमारे दिल के दर्पण पर लगा आवरण हटाकर हमें इस सांसारिक भवसागर से सहज ही पार लगा देते हैं। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।
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