इंदौर। स्वास्थ्य विभाग द्वारा सलाह दी गई है, कि कंजेक्टिवाइटिस से बचे एवं बच्चों का विशेष ख्याल रखें। कंजेक्टिवाइटिस मानसून के दौरान आमजन में फैलने वाला रोग है।
कंजेक्टिवाइटिस का संक्रमण आपसी संपर्क के कारण फैलता है। बताया गया कि इसके सामान्य लक्षण आंखों में खुजली एवं आँखें लाल, चिपचिपी तथा सफेद और पीले रंग का पदार्थ जमा हो जाता है। इस रोग को आई फ्लू, कंजक्टिवाइटिस या आँखें आना के रूप में जाना जाता है। इस रोग का वायरस संक्रमित मरीज के उपयोग की किसी भी वस्तु जैसे रूमाल, तौलिया, टॉयलेट की टोंटी, दरवाजे का हैंडल, टेलीफोन के रिसीवर से दूसरों तक पहुंचता है। आंखें आने पर बार-बार अपने हाथ एवं चेहरे को ठंडे पानी से धोयें, परिवार के सभी सदस्य अलग-अलग तौलिये एवं रूमाल का उपयोग करें, स्वच्छ पानी का उपयोग करें, बार-बार आंखों को हाय न लगायें, धूप के चश्मे का प्रयोग करें तथा चिकित्सक को दिखाकर परामर्श लें।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बीएस सैत्या ने बताया कि समस्त ब्लॉक मेडिकल अधिकारियों एवं झोनल मेडिकल अधिकारियों को निर्देश दिए गए है कि ब्लॉक एवं झोन उनके कार्य क्षेत्र में आने वाले छात्रावासों में मेडिकल टीम भेज कर बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण अवश्य करें। छात्रावास में बच्चे अधिकतर दैनिक उपयोगी वस्तुओं का उपयोग आपस में कर लेते हैं, जिससे संक्रमण बच्चों में तेजी से फैलता है।
अंधत्व निवारण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. प्रदीप गोयल ने बताया, कि साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, आंखों को बार-बार ना छूए, रुमाल का इस्तेमाल करें, कांटेक्ट लेंस का उपयोग ना करें, आंखों की सौंदर्य सामग्री का उपयोग ना करें, स्विमिंग पूल का प्रयोग ना करें, संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें, संक्रमित व्यक्ति अपने आपको आइसोलेट करें। उन्होंने बताया कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। वह अपने आप को आइसोलेट नहीं कर पाते हैं, इसलिए उनमें संक्रमण तेजी से फैलता है। संक्रमण होने पर तुरंत चिकित्सक को दिखाएं एवं चिकित्सक की सलाह से आई ड्रॉप का उपयोग करें, संक्रमित आंख में आई ड्राप डाली है, उसी करवट लेटे, ताकि दूसरी आंख में संक्रमण न फैले। पालकों, विद्यालय प्रबंधन तथा प्रबंधकों को जागरूक रहते हुए संक्रमित बच्चों को घर पर आइसोलेट करें ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
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