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ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है, तब जागृत होती है भक्ति 

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– रामद्वारा में श्रीमद भागवत कथा में महंत रामनारायणजी ने दिए प्रेरणादायी संदेश                   

देवास। जब ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है तो भक्ति जागृत होती है और मोह माया से व्यक्ति दूर हो जाता है। सत्संग से ज्ञान और ईश्वर की भक्ति प्राप्त होती है। जहां भी सत्संग हो, वहां अवश्य ही कुछ समय बैठे। सत्संग का ज्ञान आपके जीवन में प्रकाश फैलाता है। जिसे ईश्वर की भक्ति प्राप्त हो जाती है, उसे इस संसार में फिर कुछ भी प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं रहती।

यह विचार श्रीरामद्वारा में भागवत कथा के अंतर्गत महंत रामनारायणजी ने प्रकट किए। ध्रुव प्रसंग की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि ईश्वर की प्राप्ति के लिए बालक ध्रुव ने कठोर तपस्या की। ध्रुव की भक्ति से भगवान प्रसन्न हुए। भगवान ने अपने भक्त को संसार में सर्वोच्च स्थान प्रदान किया। संसार में रहते हुए हम सभी को ईश्वर की भक्ति नियमपूर्वक करना चाहिए। पूजन, जप-तप, संयम आदि जरूरी है। ईश्वर का स्मरण हर पल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य का जीवन नीति एवं धर्म अनुसार चलता है तो सुखद परिणाम प्राप्त होते हैं, लेकिन जब वह अधर्म के मार्ग पर चलता है तो उसे नरक भोगना पड़ता है। जिस प्रकार भयानक सपना नींद खुलने पर टूट जाता है उसी प्रकार ईश्वर की कृपा से व्यक्ति का जीवन मोक्ष मार्गी हो जाता है। सोमवार को कपिल भगवान का जन्म उत्सव मनाया गया। महंतजी ने विभिन्न प्रसंगों को उदाहरण सहित समझाया। भागवत कथा के दौरान भजनों की प्रस्तुति भी दी। कथा श्रवण के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए। महेश सोनी ने बताया कि मंगलवार को डोल ग्यारस का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। रामद्वारा का ढोल नगर भ्रमण करेगा। कथा दोपहर 1 से शाम 5 बजे तक की जाएगी।

 

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