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मुंबई में लाल बाग के राजा, मध्यप्रदेश में लाल गेट के राजा

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– देश-प्रदेश में लाल गेट के राजा की ख्याति का हो रहा प्रसार

– अपने वैभव और चमत्कार के लिए जाने जाते हैं लाल गेट के राजा

-भक्तों की मनाेकामना को पूरी करने वाले हैं लाल गेट के राजा

– जाने यहां कैसे हुआ लाल गेट के राजा का नाम

देवास। महाराष्ट्र के मुंबई शहर में लाल बाग के राजा लाखों-करोड़ों भक्तों की आस्था, विश्वास और श्रद्धा के केंद्र बिंदु हैं। अपने भक्तों की पीड़ा-कष्टों को हरने वाले लाल बाग के राजा के चमत्कार को हर कोई नमन करता है। मन की कामनाओं को पलभर में पूरी करने वाले लाल बाग के राजा के दर्शन के लिए देश-विदेश से भक्त आते हैं। कुछ इसी प्रकार का वैभव है मध्यप्रदेश के देवास शहर में लाल गेट के राजा का।

इन दिनों यहां गणेशोत्सव अपने चरम पर है। शाम होते ही भगवान श्रीगणेश का अाशीर्वाद लेने के लिए भक्तों का तांता लग जाता है। मन की कामनाओं को पूर्ण करने वाले लाल गेट के राजा की ख्याति का प्रसार इंदौर-उज्जैन सहित पूरे देश-प्रदेश में हो रहा है। साल-दर-साल यहां आने वाले भक्तों की संख्या बढ़ रही है। भगवान गणेश की स्थापना वर्ष 2008 में संस्था सिद्धि विनायक ने एक छोटे रूप में की थी, जिसने समय के साथ भव्य रूप अंगीकार कर लिया है। संस्था में 250 सदस्य है और सभी समर्पण भाव से वर्षभर सामाजिक एवं धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं। गणेशोत्सव में इनकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। पंडाल में आने वाले भक्तों को बगैर किसी रूकावट के दर्शन हो सकें, इसके लिए संस्था के समर्पित सदस्य व्यवस्था बनाए रखने में जुटे रहते हैं।

‘लाल गेट’ के राजा नाम क्यों पड़ा-

भगवान श्री गणेश की स्थापना के साथ ही संस्था सदस्यों के सामने प्रश्न था कि यहां का नाम क्या होना चाहिए। पहले साल ही पंडाल के समीप सुझाव पुस्तिका रखी और इसमें भक्तों से सुझाव मांगे गए। इसमें एक सुझाव प्राप्त हुआ पं. राजेंद्र चौधरी का। सुझाव कुछ इस प्रकार था कि चूंकि देवास में जहां स्थापना की है, वहां पास ही सयाजी गेट है और ऐसे में हमें मुंबई के लाल बाग के राजा के समान देवास में लाल गेट के राजा नाम देना चाहिए। यह सुझाव सदस्यों को भी पसंद आया और इस तरह से नाम पड़ गया ‘लाल गेट के राजा’।

8 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित है-

लाल गेट के राजा की मूर्ति नासिक के कलाकार ने निर्मित की है। यह 8 फीट ऊंची है। इसे नासिक से ही मंगवाया है। मूर्ति ऐसी प्रतीत होती है मानो साक्षात सिद्धि विनायक यहां अपने भक्तों को आशीर्वाद दे रहे हैं। मूर्ति बनाने वाले कलाकार की अद्भुत कारीगरी और कलाकृतियां मन मोह रही हैं। जो भी भक्त दर्शन के लिए आ रहे हैं, वे एकटक निहारते हुए भावविभोर हो रहे हैं। उन्हें यह अनुभूति हो रही है कि साक्षात सिद्धि विनायक आशीर्वाद दे रहे हैं। बारिश को देखते हुए करीब 10 हजार स्केअर फीट में वाटर प्रूफ टैंट है।

आडियो-वीडियो से देशभक्ति का संदेश-

गणेशोत्सव में संस्था सिद्धि विनायक हर वर्ष कुछ अनूठा करती है। इस बार देशभक्ति पर आधारित डाॅक्यूमेंट्री दिखाई जा रही है। पंडाल में स्वतंत्रा सेनानियों की बड़ी तस्वीरें है। पंडाल में अशोक स्तंभ भी भक्तों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। संस्था संयोजक रवि जैन कहते हैं कि हमें यह मालूम होना चाहिए कि हम गणेशोत्सव क्यों मनाते आ रहे हैं। देश की आजादी के पहले गणेशोत्सव मनाने का एक कारण देश की एकता और अखंडता भी था। हम डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से शहीदों की शहादत को नमन करते हैं और संदेश भी दे रहे हैं कि आखिर गणेशोत्सव क्यों मनाया जाता है।

बैंड से सलामी, संगीतमयी आरती-

गणेशोत्सव में मुख्य आकर्षण बैंड की सलामी है। बैंड की धुन दूर से ही सुनाई देती है और भक्तों को पंडाल की ओर खिंचती है। रात 8.30 बजे संगीतमयी आरती में हजारों श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। साथ ही भजन संध्या एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किए जा रहे हैं। पंडाल में 5 सितंबर को पिगडंबर वाले लाखन महाराज की भजन संध्या और 6 सितंबर को खाटू श्याम बाबा का कीर्तन होगा। पवित्र ज्योत प्रज्वलित की जाएगी।

होती है सकारात्मकता की अनुभूति-

संस्था सिद्धि विनायक के संयोजक रवि जैन बताते हैं कि पंडाल में प्रवेश करते ही सकारात्मकता की अनुभूति होती है। ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान श्रीगणेश हमारे आसपास ही है। सच्चे मन से जिसने जो मांगा, वह खाली हाथ नहीं लौटा। उसकी मनोकामना लाल गेट के राजा अवश्य पूरी करते हैं। लाल गेट के राजा के चमत्कार का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता।

– प्रस्तुति Newsoneclick.com

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