किसानों को फसलों में कीटव्याधि की रोकथाम के लिए सलाह
देवास। जिला स्तर पर गठित दल द्वारा बागली विकासखण्ड के पुंजापुरा, भीकूपुरा, उदयनगर, बिसाली, सिरोल्या, मिर्जापुर और पोलाखाल ग्रामों के सोयाबीन और मक्का फसल के खेतों का निरीक्षण किया।
दल में सहायक संचालक कृषि विलास पाटिल, प्रभारी वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी आरके विश्वकर्मा, कृषि विज्ञान केन्द्र देवास के डॉ. अरविन्दर कौर, कृषि वैज्ञानिक और फसल बीमा कंपनी एसबीआई जनरल इंश्योरेन्स कंपनी लिमिटेड के देवीशंकर भामसर शामिल थे।
निरीक्षण के दौरान दल ने किसानों को सलाह दी कि खेत में जलभराव की स्थिति में जल निकास का प्रबंधन करें। एन्थ्रान्कोज रोग के लक्षण दिखाई देने पर टेबूकोनाजोल 25.9 ई.सी. (625 एमएल/हे) या टेबूकोनाजोल 38.39 एस.सी. (625 एमएल/हे) या टेबूकोनाझोल 10 प्रतिशत+सल्फर 65 प्रतिशत डब्ल्यूजी (1.25 किग्रा./हे) का छिड़काव करें। आवश्यकता अनुसार दूसरा छिडकाव 15 दिवस के बाद करें।
एरिअल ब्लाइट रोग के लक्षण दिखाई देने पर सलाह है कि नियंत्रण हेतु फफूंद नाशक पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 प्रतिशत डब्ल्यूजी (375-500 ग्रा0/हे) या फ्लुक्सापय्रोक्साड 167 ग्राम/ली0 पायरोक्लोस्ट्रोबीन 333 ग्राम/ली. का छिड़काव करें।
पीले मोजेक रोग सफेद मक्खी के प्रकोप के कारण होता है। इसके प्रबंधन के लिए एसीटेमीप्रीड 25 प्रतिशत बायफेंथ्रिन 25 प्रतिश डब्ल्यूजी (250ग्रा./हे) का छिडकाव करें। इसके स्थान पूर्व मिश्रित कीटनाशक थायोस्मथोक्सम+लैम्बडा सायहेलोथ्र्नि (125 एमएल/हे) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिर्डाक्लोप्रीड (350 एमएल/हे) का भी छिड़काव करें। सेमिलूपर इल्ली के नियंत्रण के लिए क्लोरएट्र्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी, (150 मि.ली./हे) या इमामेक्टिन बेंजोएट (425 मि.ली./हे) या ब्रोफ्लानिलाइड 300 ग्राम/ली.या फ्लूबेंडिंयामाइड 20डब्लूजी (250-300 ग्राम/हे) या फ्लूबेंडिंयामाइड 39.35 एस.सी (150मि.ली.) प्रति हेक्टेयर के मान से छिड़काव करें।
मक्का फसल में इल्ली के नियंत्रण के लिए क्लोरएट्र्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी, (200 मि.ली./हे) का छिड़काव तने के मध्य करने की एवं खेत में टी आकार की खूंटी पक्षियों को बैठने हेतु लगाने की सलाह दी गई, जिससे इल्लियों का जैविक नियंत्रण किया जा सके।
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