टोंकखुर्द (नन्नू पटेल)। संस्कृति का सबसे सुंदर पर्व रक्षाबंधन है। यह भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक, सामाजिक समरसता व पारिवारिक एकता का महान पर्व है। रक्षाबंधन का त्यौहार हमारी संस्कृति की एक अमूल्य धरोहर है। रक्षाबंधन का पर्व सोमवार को उत्साहपूर्वक मनाया गया। भद्राकाल लगने के कारण यह त्योहार दोपहर 3 बजे से मनाया गया।
हर वर्ष की तरह सावन पूर्णिमा पर बहिनों ने अपने भाइयों की कलाई पर राखी के रूप में रक्षा सूत्र बांधकर दीर्घायु की कामना की। राखी के त्यौहार की एक कथा भी है। जब वामन रूप धरकर भगवान विष्णु राजा बलि से तीन पग जमीन में एक पैर में जमीन, दूसरे में आसमान व तीसरे पग में बाली के सिर पर रखकर पाताल में उतार देते हैं, वही राजा बलि प्रभु का पैर पकड़ लेता है और माता लक्ष्मी ढूंढने के लिए जाती है तो वह उसे भाई बनाकर प्रभु को मांगकर लाती है, तभी से यह राखी का पर्व चला आ रहा है। परंपरा का निर्वहन करते हुए भाइयों ने अपनी बहिनों को उपहार भेंटकर जीवनभर रक्षा का संकल्प लिया। रक्षाबंधन को लेकर नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भारी उत्साह दिखाई दिया। बहिन-भाई के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन पर हर घर में उत्साह देखने को मिला।
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