भौंरासा (मनोज शुक्ला)। संस्कृति का सबसे सुंदर पर्व है रक्षाबंधन। यह भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक, सामाजिक समरसता व पारिवारिक एकता का महान पर्व है। रक्षाबंधन का त्यौहार हमारी संस्कृति की एक अमूल्य धरोहर है। रक्षाबंधन सोमवार को उत्साहपूर्वक मनाया गया।
हर वर्ष की तरह सावन पूर्णिमा पर बहिनों ने अपने भाइयों की कलाई पर राखी के रूप में रक्षा सूत्र बांधकर दीर्घायु की कामना की। परम्परा का निर्वहन करते हुए भाइयों ने अपनी बहिनों को उपहार भेंटकर जीवनभर रक्षा का संकल्प लिया। रक्षाबंधन को लेकर नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भारी उत्साह दिखाई दिया। बहिन-भाई के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन पर हर घर में उत्साह देखने को मिला।
भाई की कलाई पर प्रेम का सूत्र बांधने के लिए बहनें आतुर दिखाई दी तो भाइयों ने खुशी-खुशी राखी बंधवाई। बहनें सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर भाई को राखी बांधने मायके पहुंची तो भाइयों ने भी बहनों के घर पहुंचने पर स्वागत किया। इससे पहले रक्षाबंधन को लेकर घरों में विशेष तैयारियां की गई थीं।
राखी का त्यौहार मनाने से पहले परम्परा के अनुसार लोग स्नान कर पूजा के लिए मंदिर पहुंचे। इसके उपरांत बहनों ने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर जन्म-जन्म तक सुख-दुःख में साथ निभाने का वचन भाइयों से लिया। वहीं भाइयों ने भी बहनों को उपहार देकर हमेशा साथ निभाने का वादा किया।
इस दौरान भाइयों ने अपनी बहिनों को उपहार भेंट किए। सबसे ज्यादा उत्साह बच्चों में देखने को मिला। बच्चियां अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने को आतुर दिखी तो बच्चे भी राखियां बंधवाने के लिए उत्साहित दिखे। रक्षाबंधन पर भद्रा का साया होने पर अधिकांश घरों में शुभ मुहूर्त देखकर रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया गया।
रक्षाबंधन को लेकर नगर व बाजारों में काफी भीड़ नजर आई, वही राखियां खरीदते हुए महिला व बच्चियों की भीड़ दुकानों पर देखी गई।
Leave a Reply