देवास। हिन्दू धर्म में हर त्योहार का अपना महत्व है। श्रावण पूर्णिमा पर रक्षाबंधन के दिन ब्राह्मणों द्वारा पवित्र नदी के घाट या वर्तमान परिदृश्य में मंदिरों में या पवित्र स्थानों पर इसे मनाया जाता है, जिसे श्रावणी उपाकर्म भी कहा जाता है। इसे पुण्य करने का दिन भी कह सकते हैं।
मप्र नागर ब्राह्मण युवा परिषद के नितिन नागर ने बताया, कि आयोजन हाटकेश्वर देवालय में सुबह 7.30 बजे किया जाएगा। प्राचीनकाल में ऋषि-मुनियों द्वारा इसी दिन से वेदों का पाठ करना आरंभ किया जाता था। गुरुकुल में बालकों को शिक्षा अध्ययन के लिए भेजा जाता था और उन्हें द्विज बनाया जाता था।
इस दिन आत्मशुद्धि कर पितरों और स्वयं के कल्याण के लिए आहुतियां दी जाती है।
श्रावणी पर्व वैदिक विधि से हेमाद्रीप्राक्त, प्रायश्चित संकल्प, सूर्यारधना, दसविधि स्नान, तर्पण, यज्ञोपवीत धारण कर मनाया जाता है। शास्त्रों में भी श्रावणी को ब्राह्मण जाति कर्तव्य बताया गया है।
श्रावणी उपाकर्म के तीन पक्ष प्रायश्चित संकल्प, संस्कार एवं स्वाध्याय कहे गए हैं।
विगत वर्षानुसार इस वर्ष भी नागर ब्राह्मण युवा परिषद शाखा देवास द्वारा इस पावन पर्व को सभी स्वजातीय बंधुओं के साथ सामूहिक कल्याण की भावना के साथ समाज के युवा साथी पं. कपिल शुक्ल के आचार्यत्व में मनाने का निश्चय किया गया है।
परिषद द्वारा सभी स्वजातीय ब्राह्मण बंधुओ से निवेदन किया गया है कि सभी इस अभिनव पहल का समाज कल्याण की भावना से हिस्सा बनकर सामाजिक एकता का परिचय देते हुए आयोजन में सम्मिलित हो एवं जनेऊ धारण करने वाले सभी युवाओं को भी प्रेरित करें एवं अपनी संस्कृति से अवगत कराएं।
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