मैं तो मुरली पे जाऊं बलिहारी रसिया, मैं तो नाचूंगी तेरे दरबार रसिया… भजन की प्रस्तुति पर श्रद्धालु झूम उठे
देवास। अपने मन को भगवान के भजन में लगाओं, उनकी स्तुति, स्मरण करते रहों। जिसका मन गोविंद में लग गया, उसे फिर संसार व्यर्थ लगने लगता है। उसके जीवन की नैया भवसागर से सहज ही पार हो जाती है। जब सेवा, भक्ति करने की मन में इच्छा जागृत होगी तो संसार की माया भक्ति में बाधा डालती है। माया आकर्षित करती, लेकिन माया के फेर में ना पड़ते हुए दृढ़ संकल्पित होकर भगवान की भक्ति में लगे रहें।
यह विचार भोपाल रोड स्थित आंवलिया पिपलिया में श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन व्यासपीठ से पं. अजय शास्त्री सिया वाले ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा बिना सेवा, बिना भक्ति के परमात्मा नहीं मिलते। हमें पता ही नहीं, कि पल-पल हमारी सांसे घट रही है। हम मृत्यु के करीब जा रहे हैं, तो क्यों न हम जीते जी ही भगवान की भक्ति कर अपना उद्धार कर लें। उन्होंने कहा अगर आपने परमात्मा की कथा का श्रवण किया है। आपने समर्पित होकर प्रभु भक्ति में मन लगाया है, तो भगवान भी समर्पित होकर चले आएंगे।
कथा में श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह कथा पंडाल में धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पं. शास्त्री ने कहा गोपियों ने जब भी गोविंद को पुकारा है, तब-तब गोविंद उनके घर गए हैं। गोपियों ने गोविंद को अपना मन समर्पित कर दिया था, इसलिए गोविंद भी समर्पित हो गए थे। इस दौरान पं. अजय शास्त्री ने मैं तो मुरली पे जाऊं बलिहारी रसिया, मैं तो नाचूंगी तेरे दरबार रसिया…जैसे एक से बढ़कर एक भक्ति गीतों की प्रस्तुति दी तो श्रद्धालु झूमने लगे। आयोजक मंडल के बाबूलाल शर्मा, संजय शास्त्री, अनिल सर सहित धर्मप्रेमियों ने व्यासपीठ की पूजा अर्चना कर आरती की। सैकड़ों धर्मप्रेमियों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।
Leave a Reply