जो भक्ति में लीन हैं उसे ना तो माया और ना ही कलियुग सता सकता है- पं. अजय शास्त्री

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देवास। जिसकी मुस्कुराहट दीवाना कर दे उसका नाम है श्रीकृष्ण। कृष्ण किसे कहते हैं, जो चित्त को, संसार को, ब्रह्मांड को अपनी ओर आकर्षित कर दे उसका नाम श्रीकृष्ण है। जिसमें एक अद्भुत आकर्षण है, जो हमारे मन को खींचता है उसका नाम है श्रीकृष्ण। भगवान श्रीकृष्ण राधा रमन हैं। नन्हे से गोपाल के सुंदर नैनों में अमृतधार हैं। उन्हें देखने के बाद चित्त का होश नहीं रहता है।

यह विचार भोपाल रोड स्थित आंवलिया पिपलिया में भागवत रूपी ज्ञान गंगा में व्यासपीठ से पं. अजय शास्त्री सिया वाले ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर सारे बृजवासियों की रक्षा की। इंद्र ने भयंकर मेघों से बरसात की, लेकिन जिसकी जीवन रूपी गाड़ी में भगवान कृष्ण हो उसे फिर किस बात का डर। उन्होंने कहा ये संसार है जो जीवात्मा को नए-नए साधनों में उलझाता रहता है, पर जो प्रभु भक्ति में लीन हैं, उन्हें न तो कलियुग और ना ही माया सता सकती है।

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पं. शास्त्री ने कहा माखन में मां शब्द समाहित है, इसलिए भगवान माखन को ज्यादा पसंद करते हैं। जो ठाकुरजी को माखन-मिश्री खिलाता है, उस पर प्रसन्न होकर उसे यशोदा सी गति प्रदान करते हैं। गोपियों के घर जाना, माखन चुराना ये तो केवल सांसारिक बाते हैं। सार तो ये हैं, कि वेद की ऋचाओं ने प्रभु की लीला देखने के लिए जन्म लिया है। उन सभी के मन की इच्छा पूरी करने के लिए लीला की भगवान ने।

उन्होंने कहा जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान का प्राकट्य होता है। धर्म की स्थापना करने के लिए वे ही राम बने, कृष्ण बने। हमारे ईश्वर को प्राप्ति के रास्ते अनेक है, पर स्थान एक है। लेकिन भक्ति, भगवान एक है। भगवान ने जब-जब, जिस रूप में आकर के कष्टों का निवारण किया, भक्तों ने उस रूप को हृदय में धारण किया और उसकी वंदना की।

आयोजन समिति के बाबूलाल शर्मा, संजय शास्त्री, अनिल सर सहित धर्मप्रेमियों ने व्यासपीठ की पूजा-अर्चना कर आरती की। सैकड़ों धर्मप्रेमियों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।

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