बिना भेदभाव के परमार्थ का कार्य करते हैं सरवर, तरवर, संत, मेघ- सद्गुरु मंगलनाम साहेब

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देवास। सरवर, तरवर, संत जना, मेघ यह सब परमार्थ का कार्य करते हैं। सरवर यानी तालाब, नदी नाले सरवर के रूप में आते हैं। तरवर यानी वृक्ष जो हैं फल के साथ छांव और ऑक्सीजन देते हैं। ये बिना भेदभाव के दूसरों को सुख पहुंचाकर परमार्थ का कार्य करते हैं। मेघ याने बादल, बादल जब आकाश से बरसते हैं तो धरती में बीज अंकुरित होते है, जिससे जीव चराचर की भूख-प्यास मिटती है। बादल भी कभी भेदभाव नहीं करते हैं। वैसे ही संत दूसरों के दुख दर्द को समझ कर अपनी सुख-सुविधाओं का त्याग कर मानव को सुख पहुंचाते हैं। जो मानव दूसरे का दुख-दर्द को समझता व सुख पहुंचाता है वही श्रेष्ठ होता है। जो दूसरों के दुख-दर्द को नहीं समझता, वह मानव पशु के समान है।

यह विचार सद्गुरु मंगलनाम साहेब ने सदगुरु कबीर सर्वहारा प्रार्थना स्थलीय सेवा समिति मंगल टेकरी द्वारा आयोजित किए गए पक्षियों के लिए दाना-पानी कार्यक्रम के दौरान व्यक्त किए। सद्गुरु मंगलनाम साहेब के सानिध्य में पक्षियों के लिए पेड़ों पर सकोरे बांधकर उसमें पानी भरकर पक्षियों के दाना-पानी की व्यवस्था की गई।

मंगलनाम साहेब ने कहा मई-जून में भीषण गर्मी पड़ती है। नदी-नाले, तालाब सूख जाते हैं। ऐसे में पक्षियों को पानी नहीं मिल पाता है। प्रत्येक नागरिक पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए अपने-अपने घरों के सामने, छत व बगीचे में सकोरे अवश्य रखें। सकोरो में प्रतिदिन पानी डालें। उन्होंने कहा जीवों पर दया करने के लिए दाना-पानी दिया जाता है। यह जानकारी सेवक राजेंद्र चौहान ने दी।

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