– देवास में क्षिप्रा शुद्धिकरण तथा उसके सहयोगी नदी/नालों के प्रबंधन के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर गठित दूसरे दल को दिया प्रशिक्षण
देवास। क्षिप्रा नदी को पूरी तरह से शुद्ध बनाना हमारी जिम्मेदारी है। इसके लिए हमें एकजूट होकर कार्य करना होगा। इसके लिए सभी तैयार रहें। ऐसी कार्य योजना बनाए, कि क्षिप्रा नदी में शुद्ध जल निरंतर बहता रहे।
उक्त बातें सीईओ जिला पंचायत हिमांशु प्रजापति ने देवास जिला पंचायत सभाकक्ष में सिंहस्थ-2028 के लिए सेल्फ ऑफ प्रोजेक्ट, कार्य योजना निर्माण एवं क्रियान्वयन के लिए क्षिप्रा शुद्धिकरण तथा सहयोगी नदी/नालों पर रिज टू वेली कॉन्सेप्ट अनुसार किनारे पर स्थित ग्रामीण क्षेत्रों में तरल एवं ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, मनरेगा, वानिकी, उद्यानिकी, कृषि एवं जैविक खेती, जल एवं मृदा संरक्षण की गतिविधियों के लिए गठित दूसरे दल को दिए गए प्रशिक्षण में कही। प्रशिक्षण चेतन अत्रे, डॉ. पीएस भार्गव, डॉ. निशित गुप्ता, डॉ. महेंद्र सिंह, संतोष शुक्ला, नरोत्तम शाक्य, देवेंद्र नागर, रूपेश गुप्ता और सुनील सुमन द्वारा दिया गया।
प्रशिक्षण में बताया गया, कि जिले में 55 किलोमीटर में क्षिप्रा के दोनों ओर 50 मीटर तक पौधारोपण की कार्ययोजना बनाना है। क्षिप्रा शुद्धिकरण तथा उसके सहयोगी नदी/नालों के प्रबंधन के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर गठित दल घरों से निकलने वाले जल के प्रबंधन के लिए घरेलू स्तर पर लीचपिट/सोकपिट निर्माण एवं सामुदायिक स्तर पर लीचपिट/सोकपिट, नाली निर्माण, वृहद संरचना जैसे वेल फिल्टर, देवास बायो फिल्टर एसटीपी का निर्माण कार्य ग्राम पंचायत एजेंसी के माध्यम से किया जाएं।
घरों से निकलने वाले ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नाडेप निर्माण, कम्पोस्ट पिट निर्माण एवं सामुदायिक स्तर पर कचरा वाहन, सार्वजनिक कचरा पेटी, वृहद संरचना जैसे सेग्रीग्रेशन शेड निर्माण कार्य ग्राम पंचायत एजेंसी के माध्यम से किया जाएं। क्षिप्रा नदी के कैचमेंट में आने वाले ग्रामों में मृदा संरक्षण एवं संवर्धन हेतु पहाड़ियों पर स्टेगर्ड कंटूर ट्रेप, सीसीटी, बोल्डर चेक, गली प्लग एवं वृक्षारोपण कार्य ग्राम पंचायत एजेंसी के माध्यम से किया जाएं। क्षिप्रा नदी के कैचमेंट में आने वाले ग्रामों में जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए नदी नालों पर परकोलेशन टैंक, खेत तालाब, डायवर्शन ट्रेन, भूमिगत डाईक, रिचार्ज सॉफ्ट, वॉक्स ट्रेच, चेकडेम, स्टाप डेम, निस्तारी तालाब, बोरी बंधान, निर्माण कार्य ग्राम पंचायत एजेंसी के माध्यम से किया जाएं। रासायनिक कीट प्रबंधक के स्थान पर जैविक गतिविधियों को बढावा दिया जाएं।
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