देवास। भगवान के भक्तों का कभी अपमान मत करों। कभी भी उन्हें नाराज मत करों। तुम्हारी धर्मपत्नी अगर पूजन करने जाती है तो जाने दो। उसकी पूजा-अर्चना में बाधा मत डालो। अगर धर्मपत्नी कथा सुनने जाएगी, तो पैरों से तुम्हारे घर के अंदर सुख-समृद्धि ही लेकर आएगी। श्रीमती को लक्ष्मी कहा गया है। जो सच्चे भक्त होते हैं, वही कृष्ण रूपी नाम का अमृत पान करते हैं।
यह विचार श्री रंगनाथ राधाकृष्ण मंदिर चाणक्यपुरी में श्रीमद् भागवत कथा के दौरान मंगलवार को व्यासपीठ से पं. अजय शास्त्री सिया वाले ने प्रकट किए। उन्होंने कहा, कि श्रीमद् भागवत रूपी कथा का जिसने भी अमृत पान कर लिया, उसके जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। श्रीमद् भागवत कथा साक्षात भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से निकली है। रामजी ने जब पत्थर उठाकर फेंका तो अंदर डूब गया तो हनुमानजी ने कहा प्रभु ऐसा गजब मत करों। प्रभु आप जिसे चाहोंगे, जिस पर लिख दोंगे वही पार हो जाएगा, तर जाएगा। जिसको प्रभु चाहते हैं, वह तर जाता है और जिसको छोड़ते हैं, वह पलभर में डूब जाता है। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने फूलों की होली खेलकर कृष्ण-रुक्मणि पर भव्य पुष्पवर्षा की।
सात दिवसीय कथा के दौरान रुक्मणि, कृष्णा, सुदामा बनकर प्रस्तुति देने वाले भक्तों का पुष्पमाला व श्रीफल भेंट कर चंदा शर्मा ने अभिनंदन किया। संचालन समाजसेवी सरोज मालवीय ने किया। आयोजक मंडल की चंदा शर्मा, अशोक पोरवाल, धर्मेंद्र रेनीवाल, कैलाश शर्मा, बाबूलाल चौधरी ने व्यासपीठ की पूजा-अर्चना कर महाआरती की। सैकड़ों लोगों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।
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