मौसम में बदलाव से किसानों की बढ़ गई चिंता

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– उत्पादन कम और लागत ज्यादा, गेहूं फसल भी दे गई धोखा
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। महंगाई की मार का असर इतना अधिक दिखाई दे रहा है, कि किसानों को अपनी मेहनत से लगाए गए गेहूं फसल में भी लागत खर्च अधिक आ रहा है। इसके विपरीत उत्पादन लगातार गिर रहा है।किसान जैसे-तैसे अपनी पकी हुई गेहूं फसल को सुरक्षित रखना चाहता है।

जिन किसानों ने कटाई कर ली, वे जल्द से जल्द उसे मंडी में बेच रहे हैं। ऐसे में उन्हें उचित भाव भी नहीं मिल रहे हैं। कटाई के लिए मजदूर एक बीघा प्रति मजदूर 20 किलो गेहूं प्रतिदिन एवं ठेके में एक बीघे का एक क्विंटल 25 प्रति बीघा कटाई एकत्रित करने के लिए ले रहे हैं। क्षेत्र में बड़ी मुश्किल से गेहूं काटने के लिए मजदूर मिल रहे हैं। गांव से कई मजदूर बागली, डबलचौकी, तिल्लौर, बरोठा, सिरोलिया, देवास, इंदौर आदि स्थानों पर गेहूं कटाई के लिए गए हैं।

गेहूं निकालने वाली मशीन के लिए किसानों को 150 से 200 रुपए प्रति बोरा देना पड़ रहा है। इस बार गेहूं का उत्पादन प्रति बीघा 4 से 5 क्विंटल होने से किसान घाटे का सौदा मान रहा है। मौसम के बिगड़े रूख ने चिंता और बढ़ा दी है। अगर मौसम साफ रहा तो किसानों को आर्थिक ताकत मिलेगी। मजदूर परिवारों को भी आगामी त्योहारों को उत्साह से मनाने के लिए भरपूर मजदूरी मिल जाएगी।

इस बार गेहूं निकालने वाली हार्वेस्टर मशीन के भी 900 रुपए भाव बढ़कर 1200 रुपए कर दिए गए हैं। वहीं मजदूरी भी 15 किलो गेहूं की जगह 20 किलो गेहूं हो गई है, लेकिन किसानों को समर्थन मूल्य 2275 रुपए ही मिलेगा। इसमें 60 रुपए अतिरिक्त खर्च लगने के साथ सिर्फ 2200 प्राप्त होंगे। खाद खर्च, विद्युत खर्च, मजदूरी खर्च लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन समर्थन मूल्य 2275 रु. रहने की वजह से व्यापारी भी इस भाव के आसपास ही खरीदी कर रहे हैं। क्षेत्र में 20 प्रतिशत से अधिक किसान गेहूं फसल निकाल चुके हैं। सभी का कहना है, कि उत्पादन विगत वर्ष की तुलना में 60 प्रतिशत रह गया है। हार्वेस्टर यदि छोटी मशीन हदंबा से भी गेहूं निकालते हैं तो वह भी 200 रुपए प्रति बोरा ले रहे हैं।

 

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