श्रीराम कथा में शिव-पार्वती विवाह का उत्सव मनाया, भजनों पर भाव-विभोर हुए श्रद्धालु
देवास। सनातन धर्म की परंपरा रही है, कि बगैर भगवान को भोग लगाए अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। जो भगवान को भोग लगाए बिना अन्न ग्रहण करते हैं, वह भोजन फलित नहीं होता। वह भोजन विष के समान है, इसलिए जब भी भोजन करें पहले भगवान का स्मरण कर भोग अवश्य लगाएं।
यह विचार खाटू श्याम महिला समिति चाणक्यपुरी एक्सटेंशन द्वारा चंद्रेश्वर महादेव मंदिर में श्री राम कथा के तीसरे दिन शनिवार को व्यासपीठ से आचार्य अनिल शर्मा आसेर वाले ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा, कि हनुमानजी ने लंका में सीता माता से पूछा मां मुझे भूख लगी है। मुझे कुछ खाने को दे दो। सीता माता ने कहा हनुमान भूख लगी है क्या खाओगे बोलो। मां मुझे फल खाना है। अच्छा फल खाना है, लेकिन बेटे यहां बहुत सारे राक्षस है। कौन तुम्हें फल खाने देगा। हनुमानजी ने कहा, कि मां मुझे राक्षसों की चिंता नहीं अब आप बताओ कि खाना है कि नहीं। खाना है तो सीता माता ने कहा हनुमान जो फल खाओ पहले रघुनाथ जी को हृदय में उनके चरणों में रखो और फिर खाओ। हनुमानजी चाहते तो फल तोड़कर खा सकते थे लेकिन बगैर मां सीता के पूछे नहीं खाया।
श्रीराम कथा के दौरान शिव-पार्वती विवाह का मनमोहक प्रस्तुतिकरण किया गया। शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना कर महिलाओं द्वारा पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया गया। वाणी मिश्रा ने भोलेनाथ के रूप में तो आरुषि ने पार्वती के रूप में मनमोहक प्रस्तुति दी। इस दौरान समाजसेवी डॉ. कृष्णकांत धूत, अशोक पोरवाल, जयसिंह सेंधव, मुख्य यजमान बाबूलाल चौधरी, विनोद वर्मा, आयुष गुप्ता, लोकेंद्र सिंह, मुकेश खराड़िया, नारायण विश्वकर्मा, कैलाश वर्मा, विभा दुबे, पुष्पा वर्मा, देवाबाई, हेमलता वर्मा, मनु ठाकरे, अनीता खराड़िया, ज्योति मिश्रा, लोकेश शिंदे ने व्यासपीठ की पूजा-अर्चना कर आचार्य श्री शर्मा का स्वागत किया। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण कर पुण्य लाभ लिया।
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