देवास। गोविंद की माया में सारा संसार भूला और भटका हुआ है। नाम की डोरी से, नाम की धारा से जुड़ने पर मानव मात्र इस जीवन-मरण के दुखों से पार होकर गोविंद की माया से बच सकता है। साधु-संत इसी नादबिंद की साधना करते हैं, लेकिन सदगुरु का जब तक स्नेह और प्यार नहीं मिले तब तक गोविंद की माया से उभर नहीं सकते। गोविंद की माया में ही फंसे चले जाते हैं।
यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने सदगुरु कबीर सर्वहारा प्रार्थना स्थल सेवा समिति मंगल मार्ग टेकरी द्वारा आयोजित गुरुवाणी, गुरु शिष्य चर्चा, चौका आरती के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा, कि सांसारिक मानव संपत्ति बटोरने में लगा हुआ है। सांसारिक सुखों को भोगने के लिए, लेकिन यह संपत्ति और सुख आपका नहीं है। यह तो आपको आनंद में सुलाकर 84 लाख योनियों में ले जाएगा। अपने मन में समझो कि जो संपत्ति बटोर रहे हैं, उससे सुखी नहीं रह सकते।
उन्होंने कहा, कि नाम की धारा में सुख है। चाहे वह कहीं भी खड़ा रहे 84 लाख योनियों के शरीर बचपन, जवानी, बुढ़ापे किसी ठौर पर खड़ा रहे, वह मुक्त हो जाता है। जो नाम की धारा से नहीं जुड़ा है कपड़े चमड़े से जुड़ा हुआ है। बार-बार कपड़े चमड़े बदलकर सुखी होना चाहते हैं, वह सुखी नहीं हो सकते। जो नाम से जुड़ गया वह जीवन मरण के दुख से पार हो जाता है। उसे कभी ना तो जीवन का न मरण का दुख तनिक भी नहीं होगा। दुखों से परे जाने का सहज मार्ग है, नाम की धारा से जुड़ जाना।
गुरुवाणी पाठ में सदगुरु कबीर साध संगत ने सत्संग, भजन, कीर्तन कर सद्गुरु मंगल नाम साहेब को नारियल भेंट किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साध, संगत ने शामिल होकर महाप्रसाद ग्रहण किया। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।
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