भगवान की भक्ति में तप करके ही भक्त होते हैं परिपक्व

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  • आग में तपने पर ही सोना खरा होता है और उसकी कीमत बढ़ती है

पं. देवेंद्र पाराशर ने शिव महापुराण कथा में दिए अनुकरणीय संदेश

देवास। सोना आग में जितना अधिक तपता है, उतना खरा होता है। आग में तपते हुए ही उसकी कीमत बढ़ती है। भगवान के भक्त भी तप करते हुए ही परिपक्व होते हैं। जीवन में सच्चा मार्गदर्शक मोटिवेनशल गुरु अवश्य ही होना चाहिए। ऐसा गुरु समय रहते मिल जाए तो कल्याण हो जाता है। गुरु ही हमारे अंदर के अंधकार को दूर कर प्रकाश फैलाता है।

यह विचार राजाराम नगर स्थित श्री राधा गोविंद धाम में शिव महापुराण कथा में आचार्य पं. देवेंद्र पाराशर ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा हनुमानजी के अंदर शक्ति तो थी। रामकाज करने के लिए अवतार तो हुआ था, लेकिन वह शक्ति सोई हुई थी, छुपी हुई थी। जामवंतजी ने उन्हें ज्ञान दिया, मार्गदर्शन दिया, प्रेरणा प्रदान की। उन्हें अपनी शक्ति का अनुभव हुआ और समुद्र लांघकर लंका पहुंच गए। आचार्यश्री ने कहा जीवन में दो नियम याद रखना जरूरी है। पहला नियम जब कोई आपकी प्रशंसा करें तो फूलो नहीं। सुख में फूलों नहीं और दुख में भूलाें नहीं। इस नियम का पालन करने पर कल्याण ही होगा।

आचार्यश्री ने कहा रावण ज्ञानी था। वह जानता था, कि प्रभु नारायण ने अवतार लिया है और मैं माता सीता का हरण करूंगा तो प्रभु उन्हें लेने आएंगे। प्रभु के आने से मेरा और मेरे कुल का उद्धार होगा। आचार्यश्री ने कहा भगवान को या तो प्रसन्नता से मना लो या लड़-झगड़कर मना लो। रावण ने जानबूझकर झगड़ा मोल लिया और अपना एवं अपने कुल का प्रभु से उद्धार करवा लिया। रावण ने त्रुटियां भी की, इसलिए राक्षस कहलाया। सोमवार को बड़ी संख्या में कथा श्रवण के लिए श्रद्धालु उपस्थित थे। कथा के मध्य भजनों पर श्रद्धालुओं ने भाव-विभोर होकर नृत्य किया। कथा प्रतिदिन दोपहर 1 से शाम 5 बजे तक होगी। आयोजक श्रीकृष्णानुरागी पं. सत्येंद्र शर्मा ने श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण कर पुण्यलाभ लेने का अनुरोध किया है।

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